बिहार: इस बार नीतीश पर हावी हो रही बीजेपी?, ये कुलबुलाहट बता रही अंदर की मजबूरियां
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 परिणाम में एनडीए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़े भाई से छोटे भाई में हो गएं। जबकि बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में उभरी। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को महज 43 सीटें मिली जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 74 सीट लाने में कामयाब हुई। हालांकि, पूरे चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में महागठबंधन की अगुवाई करने वाले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) 75 सीटों के साथ उभरी। चुनाव में एनडीए को 125 सीटें और महागठबंन को 110 सीटें मिली। भाजपा ने नीतीश कुमार को वादें के मुताबिक कम सीटें आने के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में चुना है लेकिन अब कई ऐसे घटनाक्रम बिहार की राजनीति को हवा दे रहे हैं जिससे स्पष्ट दिख रहा है कि अब भाजपा नीतीश कुमार पर हावी हो चली है।
दो उपमुख्यमंत्री के बीच सीएम नीतीश
सबसे पहले तो भाजपा ने इस बार बड़ी चाल चलते हुए सुशील मोदी और नीतीश कुमारी की जोड़ी को तोड़ दिया, जो बीते करीब 14 सालों से चली आ रही थी। सुशील मोदी को राज्यसभा सांसद के जरिए केंद्र की राजनीति में लाकर बिहार निकाला कर दिया गया है वहीं, भाजाप ने नीतीश के साथ अपने कोटे से तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के रूप में दो उपमुख्यमंत्री बनाए हैं। भाजपा ने इन दोनों नेताओं को सख्त जिम्मेदारी दी है कि राज्य में हो रहे विकास में भाजपा की भी भागीदारी दिखनी चाहिए। कुछ महीने पहले हुई शाह-मोदी के साथ बैठक में ये बातें सामने आई थी। हालांकि, बीते दिनों आउटलुक से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर ने कहा था कि इससे भी भाजपा को कुछ खास फायदा नहीं होने वाला है। भाजपा सुशील मोदी को अपने पार्टी के राज्य में विस्तार की राह में 'कांटे' के तौर पर देख रही थी। इसीलिए दोनों की जोड़ी को तोड़ा गया।
मंत्रिमंडल विस्तार में देरी का आरोप भाजपा पर
बीते महीने नीतीश कैबिनेट का विस्तार किया गया। ये कई महीनों से अटका हुआ था। इसको लेकर बार-बार खुलकर नीतीश और जेडीयू आरोप लगा रही थी कि इस पर बीजेपी को फैसला लेना है। आउटलुक से बातचीत में जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा था कि भाजपा कोटे से अधिक मंत्री बनाए जाने है। इसलिए, मंत्रिमंडल विस्तार अटका हुआ है। जब तक भाजपा मंत्रियों की लिस्ट जेडीयू को नहीं सौंपती है। कैसे विस्तार हो सकता है। अब नीतीश कैबिनेट का विस्तार हो चुका है, जिसमें भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन को उद्योग मंत्री बनाकर राज्य की राजनीति में अपनी जमीन तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है।
अरूणाचल जेडीयू इकाई के छह विधायक भाजपा में शामिल
बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में नीतीश कुमार की सरकार बनने के ठीक एक महीने बाद ही अरूणाचल प्रदेश जेडीयू इकाई के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। जिसको लेकर पार्टी की तरफ से गहरी प्रतिक्रिया दी गई। पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरपीसी सिंह ने इशारों हीं इशारों में बीजेपी को चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा था, "हम जिनके साथ रहते हैं, पूरी इमानदारी से रहते हैं। साजिश नहीं रचते और किसी को धोखा नहीं देते हैं। हम सहयोगी के प्रति ईमानदार रहते हैं लेकिन कोई हमारे संस्कारों को कमजोरी न समझे।" उन्होंने यहां तक कहा कि वो ये कोशिश करेंगे कि भविष्य में इस तरह का अवसर नहीं आए। हालांकि, जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने बिहार एनडीए का बचाव करते हुए कहा था कि गठबंधन में कोई दिक्कत नहीं है और हम पांच साल सरकार चलाएंगे। इसके बाद नीतीश ने भी भाजपा पर इशारा साधते हुए कहा था कि उन्हें पद का लोभ नहीं था।
विधानसभा में भी दिख रही छवि धूमिल करने की कोशिश
ऐसा पहली बार बिहार विधानसभा सदन में देखने को मिल रहा है जब नीतीश कैबिनेट के मंत्री ही अपने स्पीकर पर हावी हो रहे हैं और उन्हें फटकार लगा रहे हैं। बीते दिनों बिहार सरकार में पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को यहां तक कह दिया था, " ऐसे सदन नहीं चलेगा, ज्यादा व्याकुल मत होइए।" इस बात से स्पीकर और भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा भड़क गए और तत्काल मंत्री को उनकी बात के लिए खेद प्रकट करने को कहा। जब वे नहीं मानें तो गुस्से में विधानसभा अध्यक्ष ने सदन 12 बजे तक स्थगित कर दिया। आउटलुक से बातचीत में राजनीतिक विश्लेषक मणिकांत ठाकुर कहते हैं, "इससे नीतीश को नुकसान हो रहा है। लोजपा के जरिए भाजपा ने वैसे भी चुनाव दौरान काफी वोट बैंक का नुकसान पहुंचाया है। नहीं, तो कोई मंत्री एक स्पीकर को ऐसे बोल सकता है।"