नीतीश के खिलाफ तेजस्वी चल रहे हैं दांव-पर-दांव, लेकिन यह चूक पड़ रही है भारी
बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए की सरकार बन गई है। अब जिस दांव को भारतीय जनता पार्टी ने खेला था वो भी पूरा होने जा रहा है। लाख कोशिश करने के बाद भी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव को राज्यसभा उपचुनाव के लिए एक प्रत्याशी नहीं मिला। तेजस्वी यादव लगातार चुनाव से लेकर अब तक एनडीए को घेरने में लगे हुए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी महागठबंधन की तरफ से नीतीश कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को लेकर मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया लेकिन पार्टी बहुमत से पीछे रह गई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्य सभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। अब बीजेपी ने चिराग पासवान की पार्टी को किनारे लगाते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को प्रत्याशी बनाया है और राजद द्वारा किसी भी प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा गया है। अब ये तय है कि सुशील मोदी निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुने जाएंगे। इससे पहले लगातार राजद अपने उम्मीदवार को उतारने की तैयारी में थी। अटकलें ये भी लगाई जा रही थी कि तेजस्वी चिराग की मां रीना पासवान को लेकर दांव लगा सकते हैं। इसने राजधानी की सियासी हवा को और बल दे दिया था। लेकिन, जिसे भी राजद ने उतारना चाहा, उनके ऑफर को ठुकरा दिया गया। तेजस्वी का दांव चिराग पर भी नहीं चला। राज्य की एक राज्यसभा सीट पर 14 दिसंबर को चुनाव होने हैं।
दरअसल, चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए से अलग होकर नीतीश की अगुवाई वाली जेडीयू के खिलाफ चुनाव लड़ा है। लेकिन, चिराग इस चुनाव में कुछ खास कमाल नहीं कर पाएं। चुनाव से पहले उनका दावा था कि आगामी सरकार भाजपा-लोजपा की होगी लेकिन चुनाव परिणाम ने पासा पलट दिया। जेडीयू-भाजपा-वीआईपी-हम की अगुवाई में सरकार बनी। चिराग महज एक सीट हीं अपने खाते में ला पाएं। इसी को देखते हुए तेजस्वी ने चिराग की मां रीना पासवान को राज्यसभा प्रत्याशी बनाने पर जोर दे रही थी। लेकिन, वो नाकाम रहें। राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवार का ऑफर चिराग ने नहीं स्वीकारा। इसके पीछे की एक और वजह से ये हो सकती है कि चिराग नहीं चाहते हैं कि उनकी वजह से महागठबंधन को फायदा हो और बीजेपी से बैर लें। क्योंकि, वो कहीं-न-कहीं अपना भविष्य बीजेपी के साथ हीं देख रहे हैं।
नीतीश कैबिनेट में बने नए मंत्रियों को लेकर भी तेजस्वी लगातार हमलावर हैं। पहले पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी और उसके बाद नए शिक्षा मंत्री बनें अशोक चौधरी को लेकर भी तेजस्वी यादव लगातार सवाल उठा रहे हैं। एक तरफ महागठबंधन एनडीए में फूट का दावा कर रही है वहीं, एनडीए भी इस बात को दोहराने में नहीं चूक रही है कि महागठबंधन के कई नेता उसके संपर्क में हैं। फिलहाल, तेजस्वी को विपक्ष नेता के तौर पर हीं अपनी भूमिका अदा करनी है। लेकिन, सियासी रूख कभी भी बदल सकता है, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है।