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09 November 2020

लगातार कमजोर हो रही हैं मायावती, क्या इन 11 साथियों की खल रही है कमी

2012 के बाद मायावती राजनीत के बुरे दिनों से गुजर रही हैं ।चुनावी परिणामों में भी पार्टी पिछड़ गयी है तो चुनाव मे सत्ताधारी पार्टी की विकल्प भी नही बन पा रही है ।और तो और वोट बैंक मे अन्य पार्टिया सेंध भी लगा रही है और पार्टी मे एक दशक मे पार्टी के बडे बडे नेताओ ने बसपा छोडी भी और छोड भी रहे है।एक समय था बहन जी के संकट मोचक कहे जाने वाली टीम 11 ने मायावती को छोड़ दिया और दूसरे क्रम के इन नेताओ के जाने के बाद बहन जी की बसपा  कमज़ोर होती ही नज़र आ रही है, ऐसे मे 2022 की जंग कैसे लड़ेगीं मायावती,ये सवाल अहम है।

बीएसपी की सुप्रीमो मायावती उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रही। दलित समाज को आगे बढ़ना है तो सत्ता में हिस्सेदारी लेनी होगी इस नारे के साथ सत्ता तक बसपा पहुची।बीएसपी का स्वर्णिम काल था उत्तर प्रदेश में जब 2007 से लेकर 2012 तक बहुमत के साथ उनकी सरकार चली और यही वह कार्यकाल था जब मायावती ने अपने सारे प्रोजेक्ट का अंजाम दिया लखनऊ में अंबेडकर पार्क से लेकर स्मृति स्थल अंबेडकर मैदान और नोएडा में भी इसी तरह के निर्माण कराए थे।बसपा 2014 मे खाता नही खोल पायी और 2017 मे तीसरे नम्बर पर रही और 2019 के लोक सभा चुनाव मे 24 साल की दुश्मनी सपा से भुला कर साथ चुनाव लगी पर परिणाम खुश करने वाले नही रहे । अब 2020 मे 7 सीटो का उपचुनाव 2022 का रुझान माना जा रहा है ,जो बसपा के लिये निराशाजनक ही दिखाई पड़ रहा है।

मायावती के अगर 11 सेनापतियों के नाम लिए जाए तो आज के तारीख में उनके पास नही।  वह सारे सेनापति इस पार्टी को छोड़कर के अलग-अलग पार्टी में जा चुके हैं। इस बीच ये बहस चल रही है की बसपा की पुरानी टीम 11के जाने के बाद का ये हाल है ,या मायावती की संगठन और नेतृत्व मे वो करिश्मा नही रहा ?आप को बताते है कौन कौन था टीम 11का सद्स्य 

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टीम 11के खास नाम 

#इसमें सबसे पहले मायावती के जो सबसे विश्वासपात्र थे वह बाबू सिंह कुशवाहा लेकिन NRHM घोटाले के बाद सरकार से इस्तीफा और बाद में पार्टी से बाहर का रास्ता  

#स्वामी प्रसाद मौर्य मायावती के खास माने जाते थे मीडिया में कुछ कहने के लिए यही एक चेहरा सामने आता था लेकिन बाद में उन्होंने भी मायावती पर कई सारे आरोप लगाए और बीजेपी का दामन थाम लिया 

#नसीमुद्दीन सिद्दीकी जिसे संगठन का आदमी कहा जाता था मायावती के लिए वह मंच पर नारे लगाते थे रैलियों का इंतजाम करना लोगों के आने जाने की व्यवस्था करना यह नसीमुद्दीन सिद्दीकी की खूबी थी 

#बृजेश पाठक के नाम को भी नहीं भूलना चाहिए बृजेश पाठक ब्राह्मण तो थे  ही सोशल इंजीनियरिंग में एक कड़ी के रूप में देखे जाते थे पर पार्टी और मीडिया मैनेजमेंट में उनका बहुत ही अहम भूमिका रहा करती थी आखिरकार जब उन्हें लगा की पार्टी में उनका कद बढ़ने के बजाय घट रहा है तो पार्टी को अलविदा कह दिया ।

#जुगल किशोर ,संगठन मे महत्वपूर्ण गिनती मे थे और जाति समिकरण मे भी फिट थे 

#दादू प्रसाद ,पुराने और विचार के साथ पार्टी मे जुडे पर बाहर गए 

#के के गौतम ,संगठन के आदमी थे 

#आर के चौधरी भी संगठन के लिये पसीना बहाते थे 

#राम अचल राजभर जाति और संगठन के लिये  

#त्रिभुवन  भी संगठन के महत्वपूर्ण थे 

#रामवीर उपाध्याय पार्टी के पुराने कार्यकर्ता और मेहनती थे संगठन के लिये 

पूर्व बसपा मंत्री और खास ददू प्रसाद कहते है की विचार से हट गयी पार्टी और मायावती बीजेपी के इशारे मे काम कर रही है। 2022 मे बसपा का वोट उसको मिलेगा जो  योगी सरकार  का विकल्प होगी । मायावती वोट का सौदा करने लगी और कार्यकर्ता के रूप मे हम सब धीरे धीरे करके निकलने लगे । कांशीराम समाज की न्याय की बजाये समाज परिवर्तन की बात करते थे पर 3 बार बीजेपी की मदद से बसपा सत्ता मे आयी तो मायावती ने समाजिक परिवर्तन की बजाये समाजिक न्याय पर आगे बढ़ी जी गलत था  

बसपा को बहुत नजदीक से देखने वाले  पत्रकार राजेन्द्र गौतम कहते है ताली दोनो तरफ से बजती है ,जिन्होने ने छोडा वो पार्टी से अपने व्यक्तिगत फायदा उठाने लगे थे और बहन जी के वहाँ   कोई तभी तक कौ रह सकता है जब तक वो चाहती है ,और ये भी सच है की बसपा का मतलब सिर्फ बहन जी है और आप की राय देना पार्टी मे घातक हो सकता है अगर बहन जी को पसंद नही आयी । पर दूसरे नम्बर के इन नेताओ के जाने से पार्टी अभी उबर नही पायी है। गौतम कहते है 2022 इसका असल परीक्षा होगा।

बहन जी को अपने पुराने सेनापतियों की याद जरूर आती होगी क्योंकि एक समय था कि बीएसपी का नाम बोलता था उसका राजनीतिक पहचान उसके वोट बैंक और उसके काम करने की शैली को दूसरे राजनीतिक दल समझते थे और मानते थे कि इसी तरीके का संगठन राजनीति में चल सकता है लेकिन अब बीएसपी का संगठन खोखला हो गया है लगता है दीमक लग गया है बहन जी अब क्या करेंगी कैसे अपनी  दमखम को उत्तर प्रदेश की राजनीति में दिखाएंगे क्योंकि यह माना जाता है अगर आपके राजनीतिक पकड़ मजबूत होती है आपके जमीनी आधार मजबूत होता है तो सब आपको पूछते हैं ।अब मायावती क्या याद करती हैं? अपने उन सेनापतियों को ,उन्होंने पार्टी क्या छोड़ी पार्टी का अंकगणित ही बिगड़ गया- विधानसभा से लेकर लोकसभा तक बीएसपी एक कमजोर बहुजन समाज पार्टी दिखाई पड़ती है।

 

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TAGS: बसपा, मायावती, राजनीति, BSP, Mayawati, Politics
OUTLOOK 09 November, 2020
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