सीबीआई का वारः वीरभद्र के बाद केजरीवाल
क्या केंद्र सरकार के इशारे पर सीबीआई गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों को निशाने पर ले रही है। हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह देश के पहले मुख्यमंत्री बने जिन पर पद पर रहते हुए सीबीआई ने छापे मारे। सीबीआई ने वीरभद्र के घर पर छापे मारे थे, दफ्तर पर नहीं, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री के दफ्तर पर छापा मारकर सीबीआई ने एक और इतिहास रचा है। इस पर आज दिन भर संसद में हंगामा रहने का आसार है।
राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया है। केंद्र सरकार के मंत्री खुलेआम सीबीआई का पक्ष लेते हुए दिल्ली सरकार को भ्रष्टाचार का समर्थन करने वाला बताया। इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने चुप्पी साधे रखी, जबकि प्रकाश जावेडकर और वैंकेया नायडू ने इसे सीबीआई की स्वतंत्र कार्यवाई बताई। हालांकि विपक्ष इसे मानने को तैयार नहीं हुआ। विपक्ष के पास न मानने के ठोस कारण है। सीबीआई ने आज तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर कोई छापा नहीं मारा, जबकि व्यापम घोटाले में सीधे उनके कार्यालय का नाम है और 50 को करीब लोगों की इस घोटाले में मारे जा चुके है। सीबीआई जांच भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई। इसी तरह से राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा भगौड़े ललित मोदी को मदद करने का मामला था। सीबीआई पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ चल रहे केस में सुनवाई की अपील न करने, गुजरात में फर्जी मुठभेड़ के आरोपियों की रिहाई के खिलाफ अपील न करने जैसे अनगिनत मामलों में राजनीतिक औजार के रूप में काम करने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार का यह कहना कि सीबीआई ने दिल्ली मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के खिलाफ कार्रवाई अपने आप की है, विपक्ष को स्वीकार नहीं हो रही।
संसद में भी आप के पक्ष में तृणमूल कांग्रेस, बसपा, कांग्रेस और सपा के सांसद विरोध में आवाज उठाते देखे गए। अरविंद केजरीवाल ने सीधे-सीधे केंद्र सरकार पर निशाना साधकर सारी मामले की राजनीति को चर्चा में ला दिया है। आप नेताओं ने केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश की सरकार, पश्चिम बंगाल की सरकार और बसपा प्रमुख मायावती पर सीबीआई से दबाव बनाने का मामला भी उठाया है। गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्य सचिव के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला वर्ष 2002 से 2005 के बीच का बताया जा रहा है।