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05 September 2021

छत्तीसगढ़: बघेल या बगावत? मुद्दे को हल करने की बजाय कांग्रेस आलाकमान का टालने पर ज्यादा जोर

कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के नाम पर उभरा राजनीतिक तनाव कम होता नहीं दिख रहा है। तनातनी और पार्टी में खुलकर खेमेबाजी के सामने आते ही समाधान की आस में जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव दिल्ली तक भागदौड़ कर रहे हैं, लेकिन नेतृत्व परिवर्तन को लेकर विवाद पहले से कहीं ज्यादा गहरा और तीखा हो गया है। दोनों दिग्गज नेताओं को जब दिल्ली से बुलावा आया तब यही लगा कि केंद्रीय नेतृत्व जल्द ही इस पर अपना निर्णय सुनाकर मुद्दे का निपटारा कर देगा, लेकिन हालिया घटनाक्रम और पार्टी के रवैये से प्रतीत होता है कि वे इसे हल करने की बजाय टालने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। इस मसले पर अब भी आलाकमान कुछ भी कहने से बच रहा है, लेकिन बघेल और सिंहदेव खुलकर बोलने लगे हैं।

राज्य में 'छत्तीसगढ़ डोल रहा है, बाबा-बाबा बोल रहा है' बनाम 'छत्‍तीसगढ़ अड़ा हुआ है दाउ संग खड़ा हुआ है' के नारे अब खुलेआम कांग्रेस के भीतर गुटबाजी की बानगी पेश कर रहे हैं। 

90 में से 70 विधानसभा सीटों में कब्जे की वजह से भले ही कांग्रेस शासित अन्य राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ के पास रखा 'सुरक्षित सरकार' का तमगा ज्यादा चमक रहा है, मगर स्थिति को समय रहते दुरुस्त नहीं करने की रणनीति आगे परेशानी का सबब जरूर बन सकती है। लिहाजा मौके की तलाश में बैठी भाजपा इसकी बांट निहार रही है। 

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राज्य में फिलहाल मुख्यमंत्री के बदले जाने के संकेत भले ही ना मिले हों, लेकिन भूपेश बघेल की पूरी पारी खेलने की बात भी आलाकमान की ओर से साफ तौर पर नहीं कही गई है। 27 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के निवास- 12 तुगलक लेन में लंबी बैठक के बाद शाम 7: 30 बजे जब भूपेश बघेल बाहर निकले तब उन्होंने  इशारों-इशारों में कहा कि वे अभी पद पर बने रहेंगे। मगर पत्रकारों के कुछ सवालों पर उनकी थोड़ी झल्लाहट कुछ सियासी अटकलबाजियों के लिए जमीन भी तैयार कर गई। राहुल से मुलाकात के बाद भूपेश बघेल ने कहा, "पार्टी नेतृत्व को मैंने अपने मन की बात बता दी है। बैठक में छत्तीसगढ़ के विकास और राजनीति के बारे में विस्तार से चर्चा हुई है। मैंने राहुल गांधी से अनुरोध किया कि वे छत्तीसगढ़ आएं। वह अगले सप्ताह आएंगे। वह राज्य में अब तक हुए विकास कार्यों को देखेंगे।' जब उनसे पूछा गया कि क्या आगे मुख्यमंत्री रहेंगे जिस पर बघेल ने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने राहुल गांधी को छत्तीसगढ़ आमंत्रित किया है।  ढाई ढाई साल मुख्यमंत्री  की बात पर बघेल ने कहा कि राज्य प्रभारी पी एल पूनिया इस बारे में पहले ही साफ कर चुके हैं। इस बारे में आगे कहने की कुछ जरूरत नहीं है। 

लेकिन दिल्ली से छत्तीसगढ़ लौटने के बाद पहली बार सिंहदेव ने साफ तौर पर कहा है कि ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला वाली बात हुई थी। हालांकि उन्होंने कहा कि यह पार्टी का अंदरूनी मामला था। इसका सार्वजनिक पटल पर आना गलत है। उन्होंने कहा कि जिस बात को बंद कमरे के भीतर होनी चाहिए थी, वो सार्वजनिक जनमानस में चर्चा का विषय बन गया। टी.एस सिंह देव ने एक बार फिर आलाकमान की ओर से सीएम की कुर्सी को लेकर फैसला सुरक्षित रखने की बात कही। सिंहदेव ने कहा कि आलाकमान पर उन्हें पूरा भरोसा है, उन्होंने अपनी बात कह दी है अब इस विषय में जो भी निर्णय लेना है वो आलाकमान को लेना है।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया समेत किसी भी बड़े नेता ने अभी तक आधिकारिक तौर पर ढाई-ढाई साल वाला फॉर्मूला होने की बात की पुष्टि नहीं की है। मगर 17 दिसम्बर 2018 को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब से ही अंदरखाने चर्चा थी कि ढाई साल के फॉर्मूले के तहत वे इस पद पर बने रहेंगे जबकि इसके बाद सिंहदेव कमान संभालेंगे।  अब जब भूपेश की नेतृत्व वाली सरकार अपना ढाई बरस पूरा कर चुकी है तब सिंहदेव के गुट से बदलाव की आवाजें तेज जो गई हैं। साथ ही कई मोर्चों पर मुख्यमंत्री बघेल और मंत्री सिंहदेव के बीच टकराव वाली स्थितियां भी निर्मित होती रही हैं। जब तनाव ज्यादा बढ़ने लगा तब दोनों नेताओं को दिल्ली तलब किया गया। माना जा रहा है कि टीएस सिंहदेव  'ढाई साल वाले वादे' को लेकर आलाकमान पर दबाव बनाने में जुटे हैं, तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अपनी मजबूत स्थिति दिखा रहे हैं। 

क्या 'बदलाव' पर 'बगावत' भारी?

फिलहाल दोनों ही नेता आलाकमान के किसी भी फैसले को मानने के लिए खुद को राजी दिखा रहे हैं। लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि केंद्रीय नेतृत्व किन पेचीदगियां में उलझा हुआ है कि वो फैसला लेने में इतनी लेटलतीफी कर रहा है? जानकारों का कहना है कि सिंहदेव जिस तरह दबाव बना रहे हैं उससे लगता है कि पार्टी ने उन्हें ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था। लेकिन अब बघेल की मजबूत स्थिति की वजह से पार्टी किसी भी तरह के जोखिम को आमंत्रण देने से परहेज करने में लगी है। बघेल गुट का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आने वाले मुख्यमंत्री को कुर्सी से हटाना पार्टी को भारी पड़ सकता है। राजस्थान और पंजाब का उदाहरण देते हुए बघेल गुट का कहना है कि अगर सरकार में नेतृत्व परिवर्तन होता है तब छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भी इन राज्यों के जैसे बिखराव हो सकता है। विधायकों के दिल्ली में डेरा डालने की बात मुख्यमंत्री के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा गया। दरअसल, हालिया दिल्ली दौरे में कांग्रेस आला कमान को सरकार में अपनी मजबूत स्थिति जताने के लिए बघेल अपने साथ 50-60 विधायकों को भी लेकर पहुंचे थे। 

इधर मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थक सरकार बनने के बाद से ही ये कहते रहे हैं कि ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पर सहमति बनी है। अब ढाई साल पूरा होने के बाद सिंहदेव के समर्थकों ने इसके लिए मोर्चा खोल है। ऐसे में टीएस सिंहदेव के गुट को आलाकमान कैसे राजी करता है यह बड़ी चुनौती है।

सरकार पर खतरा नहीं लेकिन....

बेशक भारीभरकम बहुमत वाली छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पर किसी किस्म का कोई खतरा नहीं है। लेकिन मौजूदा विवाद हाशिए पर गई भाजपा के लिए भविष्य के चुनावों में वरदान साबित हो सकता है। भाजपा इस पूरे घटनाक्रम पर भले ही दर्शक की भूमिका में रहने की बात कह रही थी, लेकिन पूरी रणनीति के तहत वह कांग्रेस पर हमलावर है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने आउटलुक से कहा कि ये सत्ता, कुर्सी पदलोलुपता की पराकाष्ठा है। एक मुख्यमंत्री को शक्तिपरीक्षण तक करना पड़ा। जिस प्रकार नारे लगे वह केंद्रीय नेतृत्व को चुनौती है। यह कांग्रेस का चरित्र है जब कुर्सी जाने जाने लगती है तब वे किसी भी हद तक चले जाते हैं। साथ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि केंद्रीय नेतृत्व ने टीएस सिंहदेव से ऐसा कोई वादा किया था तब उनको ये निभाना चाहिए। 

मौजूदा राजनीतिक वातावरण से भाजपा को कितना लाभ होगा इस प्रश्न पर उन्होंने कहा, "छत्तीसगढ़ की जनता ये देख रही है और समझ रही है। राज्य में अनिश्चितता की स्थिति है। जिस तरह माहौल है उसका लाभ बिल्कुल भाजपा को मिलेगा।"

भाजपा नेताओं की ओर से आए कई तरह के बयानों से साफ है कि पार्टी जनता के बीच बताने में जुटी है कि आपसी विवाद में उलझी कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता कुर्सी है और वह जनता पर ध्यान नहीं दे रही है। 

हालांकि प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी कहते हैं कि भाजपा पर अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिये खाई और खंदक की लड़ाई लड़ रहे रमन सिंह जी कांग्रेस पर टीका टिप्पणी का अधिकार नहीं है।  डॉ. रमन सिंह जी भाजपा के आंतरिक मामलों को देखें। 

बहरहाल, कांग्रेस में जारी उठापटक और भाजपा में मौके का फायदा उठाने की कवायद के बीच राज्य की जनता अनिश्चितता के बादल छटने का इंतज़ार कर रही है। 

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TAGS: छत्तीसगढ़, भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, कांग्रेस, कांग्रेस हाईकमान, Chhattisgarh, Bhupesh Baghel, TS Singhdeo, Congress, Congress High Command, अक्षय दुबे साथी, Akshay Dubey Saathi
OUTLOOK 05 September, 2021
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