किसान आंदोलन: बैक डोर से राजनाथ ने संभाली है कमान, मोदी को है बड़ी उम्मीद
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच नरेंद्र मोदी सरकार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह किसानों के विरोध को संभालने के लिए वास्तव में नंबर दो के रूप में उभरे हैं। पार्टी के उदारवादी और उचित चेहरे ने प्रदर्शनकारी किसानों से बात करने का बीड़ा उठाया है।
शीर्ष सूत्रों का दावा है कि पिछले दो दिनों से सिंह अनौपचारिक रूप से किसान नेताओं के संपर्क में है, उनके साथ बैक-चैनल वार्ता कर रहे हैं। इसकी सहमति उन्हें प्रधानमंत्री ने खुद दी है। सिंह अपनी "किसान पुत्र" छवि के साथ कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे व्यापक प्रदर्शन को संभालने के लिए मोदी सरकार के 'संकटमोचन' बन गए हैं।
कृषि विधेयकों के पारित होने के दौरान 'मैं भी एक किसान हूं' कहकर सिंह विपक्षियों के विरोधों का मुकाबला करने में सबसे आगे रहे। यह उनका शांत व्यवहार और सार्वजनिक व्यवहार में शालीनता है जिसने सरकार ने मौजूदा परिदृश्य से निपटने के लिए उन पर भरोसा किया है। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा संकट से निपटने के लिए गृह मंत्री अमित शाह, सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ चर्चा का हिस्सा रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का खुलासा किया, "हर चरण में सिंह का योगदान मूल्यवान रहा है और इसीलिए वे चर्चाओं का नेतृत्व कर रहे हैं।"
भाजपा के सभी नेताओं के बीच, सिंह शायद देश की हिंदी बेल्ट और हार्टलैंड की राजनीति में सबसे अच्छी तरह से वाकिफ हैं। साथ ही सरकारी मामलों में उनका व्यापक अनुभव ऐसी स्थितियों से निपटने में मदद करता है।
सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के निधन के बाद, सिंह भाजपा में बचे कुछ नेताओं में से एक हैं जिनको विपक्ष और सहयोगियों द्वारा गंभीरता से लिया जाता है।
बहरहाल केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल, सोम प्रकाश ने मंगलवार को 30 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की, मगर उसमें कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। लिहाजा किसानों ने कहा है कि उनका आंदोलन तबतक जारी रहेगा, जबतक कि ये कानून वापस नहीं हो जाते हैं। वहीं सरकार ने कहा कि बातचीत सकारात्मक रही है, तीन दिसंबर को फिर से चर्चा होगी।