भाजपा का दावा 116 विधायकों ने की कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग, जानिए क्या है सच्चाई
भाजपा के महासचिव भूपेंद्र यादव ने दावा किया है कि एनडीए के अलावा कुल 116 विधायकों ने रामनाथ कोविंद के समर्थन में मतदान किया।हालांकि, इनमें कई निर्दलीय और कई छोटे दलों के विधायक भी शामिल हैं, इसलिए यह कहना सही नहीं होगा कि सभी 116 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। लेकिन इतना जरूर है कि भाजपा एनडीए के बाहर भी समर्थन जुटाने में कामयाब रहा जबकि विपक्ष खासकर कांग्रेस के लिए अपने विधायकों को एकजुट रखना ही टेढी खीर साबित हुआ।
जिन राज्यों में क्रॉस वोटिंग हुई उनमें गुजरात प्रमुख है। राज्य में कांग्रेस के 57 और एनसीपी के दो विधायक हैं लेकिन यहां मीरा कुमार को सिर्फ 49 विधायकों के वोट मिले। जाहिर है कि गुजरात में कम से कम 8 विधायकों ने पार्टी लाइन से इतर मतदान किया। इसे कांग्रेस में शंकर सिंह वाघेला गुट की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। गुजरात में पार्टी विधायकों को एकजुट रख पाने में विफलता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल के लिए भी बड़ा झटका है। विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले गुजरात कांग्रेस के हालत पार्टी की चिंता बढ़ाने वाले हैं।
दिल्ली में कुल 69 विधायक हैं जिनमें केवल 67 ने मतदान किया। आप के सौरभ भारद्वाज और देवेंद्र सहरावत ने मतदान नहीं किया था। मीरा कुमार को समर्थन देने वाली आम आदमी पार्टी के 65 विधायकों के बावजूद दिल्ली से उन्हें 55 विधायकों के वोट मिले हैं। कोविंद को 6 विधायकों के वोट मिले जबकि यहां भाजपा के सिर्फ चार विधायक हैं। यानी कम से कम दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। दिल्ली में छह विधायकों के मत अवैध करार दिए गए हैं। आम आदमी पार्टी के लिए संतोष की बात यह है कि कपिल मिश्रा, देवेंद्र सहरावत, और पकंज पुष्कर जैसे बागी विधायकों के बावजूद वह 55 विधायकों को एकजुट रखने में कामयाब रही है। आप में फूट की जो अटकलें चल रही थी फिलहाल उन पर भी विराम लग गया है।
महाराष्ट्र में भी क्रॉस वोटिंग हुई है। यहां कांग्रेस और एनसीपी के मिलाकर कुल 83 विधायक हैं लेकिन मीरा कुमार के खाते में 77 विधायकों के वोट आए। यानी कम से कम 6 विधायकों ने रामनाथ कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के 185 विधायक हैं लेकिन कोविंद को मिला 208 विधायकों का समर्थन एनडीए की मजबूती को दर्शाता है। एनडीए न सिर्फ अपने मतों को एकजुट रखने में कामयाब रहा बल्कि उसे कई छोटे दलों और निर्दलीयों का समर्थन भी मिला है। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव में मतदान गोपनीय रहता है इसलिए किस विधायक ने क्रॉस वोटिंग की यह पता लगना मुश्किल है। फिर भी मतों के आंकडों के सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि किस खेमे के वोटों में सेंध लगी।
मध्य प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 165, कांग्रेस के 56, बसपा के 4 और तीन निर्दलीय विधायक हैं। यहां रामनाथ कोविंद को 171 और मीरा कुमार को 57 विधायकों ने वोट दिए। यानी विपक्षी खेमे से कम से कम तीन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इसी तरह छत्तीसगढ़ में भाजपा के 49 और कांग्रेस के 39 विधायक हैं। लेकिन यहां कोविंद को 52 और मीरा कुमार को 35 विधायकों के वोट मिले। जाहिर है यहां भी कांग्रेस अपने सभी विधायकों को एकजुट नहीं रख पाई।
गोवा में जहां कांग्रेस के 16 विधायक हैं, वहां भी मीरा कुमार के हिस्से में सिर्फ 11 वोट आए हैं। कोविंद को गोवा से 25 विधायकों के वोट मिले जबकि राज्य में भाजपा के 12 विधायक हैं। यहां भी कांग्रेस अपने ही विधायकों को एकजुट रखने में नाकाम रही। गोवा में छोटे दलों का समर्थन न जुटा पाने की वजह से ही कांग्रेस वहां सरकार बनाने से चूक गई थी।
राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश के नतीजे भी काफी दिलचस्प रहे हैं। राज्य में एनडीए में शामिल दलों के कुल 325 विधायक हैं लेकिन रामनाथ कोविंद को यूपी से 335 विधायकों का समर्थन मिला है जो विपक्षी खेमे में सेंधमारी का सबूत है। मीरा कुमार को यूपी से सिर्फ 65 विधायकों का साथ मिला जबकि सपा, बसपा और कांग्रेस के मिलाकर राज्य में कुल 73 विधायक हैं। यानी यहां भी विपक्षी दलों में कम से कम 8 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। माना जा रहा है कि शिवपाल यादव के समर्थकों ने कोविंद के पक्ष में वोट डाला।
पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक 273 विधायकों ने मीरा कुमार को वोट देकर अपनी एकजुटता जरूर दिखाई लेकिन यहां 10 विधायकों के वोट अमान्य करार दिए गए हैं। एनडीए के बंगाल में सिर्फ छह विधायक हैं लेकिन कोविंद को 11 विधायकों का समर्थन मिला। यानी विपक्षी खेमे से यहां कम से कम 5 विधायकों ने कोविंद को वोट दिया है।
देश के 14वें राष्ट्रपति चुने गए रामनाथ कोविंद को सबसे बड़ी कामयाबी आंध्र प्रदेश में मिली जहां मीरा कुमार को किसी भी विधायक का वोट नहीं मिला। चुनाव परिणामों के मुताबिक, आंध्र प्रदेश में 174 विधायकों में से 171 ने कोविंद को वोट दिया। बाकी तीन विधायकों के वोट अमान्य करार दिए गए हैं। आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के 7 और सीपीआई का एक विधायक है।
बिहार में जदयू के रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के बाद लालू प्रसाद यादव की राजद और कांग्रेस की एकता कायम रही है। दोनों पार्टियों के राज्य में 107 विधायक है जबकि मीरा कुमार को 109 विधायकों का समर्थन मिला है। जदयू की मदद से कोविंद बिहार में 130 विधायकों के वोट जुटाने में कामयाब रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक उठापटक के बावजूद बिहार में कोई बड़ा उलटफेर नहीं दिखा है।
असम में भी रामनाथ कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग होने के स्पष्ट संकेत मिले हैं। असम में कांग्रेस और एआईयूडीएफ के मिलाकर 38 विधायक हैं लेकिन मीरा कुमार के पक्ष में वहां 35 विधायकों ने मतदान किया। यानी कम से कम तीन विधायकों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर मतदान किया। वैसे, राष्ट्रपति चुनाव में देश का संविधान विधायकों और सांसदों को पार्टी लाइन से हटकर वोट करने की स्वतंत्रता देता है। इसलिए ऐसा करने में संवैधानिक तौर पर कुछ गलत नहीं है।
हालांकि, कांग्रेस भी राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तर पूर्व के राज्यों में अपने पक्ष में क्रॉस वोटिंग का दावा कर रही है। लेकिन इन राज्यों में भाजपा को नुकसान पहुंचाने के बजाय कांग्रेस को निर्दलीय व अन्य दलों को साथ जोड़ने में कामयाबी मिली है।
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने दावा किया है कि भाजपा के 10 विधायकों ने मीरा कुमार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की। राज्य में कांग्रेस के 24 विधायक हैं जबकि मीरा कुमार को 34 विधायकों के वोट मिले। उधर, 161 विधायकों वाली भाजपा कोविंद के पक्ष में 166 विधायकों के मत दिलवाने में कामयाब रही है। यानी भाजपा को नुकसान नहीं पहुंचा। माना जा रहा है कि राजस्थान में भाजपा के 6, बसपा के दो और दो निर्दलीय विधायकों ने मीरा कुमार को वोट दिया। भाजपा ने संभवत: बागी विधायकों की भरपाई निर्दलीय और दो छोटे दलों की मदद से कर ली। कांग्रेस के लिहाज से राजस्थान की स्थिति संतोषजनक मानी जा सकती है।
इसी तरह हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 36 विधायक हैं जबकि मीरा कुमार के पक्ष में 37 विधायकों ने मतदान किया। विपक्षी एकता की सबसे बड़ी मिसाल केरल में देखने को मिली जहां रामनाथ कोविंद को सिर्फ एक वोट मिला जबकि 139 में से 138 विधायकों ने मीरा कुमार को वोट दिया है।
संसद के कुल 768 सदस्यों में से 522 ने रामनाथ कोविंद और 225 ने मीरा कुमार को वोट दिया है। 21 सांसदों के वोट अमान्य करार दिए गए हैं। राष्ट्रपति चुनाव का संपूर्ण परिणाम यहां देखा जा सकता है। चुनाव नतीजों के मुताबिक, रामनाथ कोविंद ने 7,02,044 मूल्य के मत हासिल किए जबकि मीरा कुमार के खाते में 3,67,314 मूल्य के वोट आए हैं।