केजरीवाल सा पहनावा, ठाकरे जैसी जुबान, क्या नतीजों में दिखेगा हार्दिक का कमाल?
पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेता हार्दिक पटेल की उम्र अभी चुनाव लड़ने की नहीं है। लेकिन, उनके तेवरों ने गुजरात विधानसभा चुनाव को बेहद रोचक बना दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह वे कपड़े पहनते हैं। बोलने का उनका स्टाइल शिवसेना के दिवंगत नेता बाल ठाकरे की याद दिलाता है। ठाकरे की तरह ही भाषणों में वे हास्य और लोकोक्तियों का पुट डालते हैं। इन दोनों की तरह हार्दिक भी सरकार विरोधी आंदोलन की उपज हैं।
कांग्रेस को समर्थन देने वाले हार्दिक के प्रभाव की जमीनी हकीकत तो 18 दिसंबर को नतीजों के साथ पता चलेंगे, पर उनके समर्थकों का मानना है कि आज प्रदेश का हर युवा उनके पीछे खड़ा है। हालांकि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों का दावा है कि उनका प्रभाव राज्य के एक खास मतदाता वर्ग तक ही सीमित है। पेशे से चिकित्सक और राजपूत बिरादरी से आने वाले अभय राज कहते हैं, अब वे किसी खास जाति की नहीं, बल्कि गुजरात के युवाओं की आवाज बन चुके हैं। वे ऐसे मुद्दों को उठा रहे हैं जो राज्य और खासकर युवाओं के लिए प्रासंगिक हैं।
प्रचार के दौरान हार्दिक ने उसी तरह रैली की जैसा दिल्ली में केजरीवाल ने किया था। उनकी रैलियों में मंच पर न तो कुर्सी लगी होती थी और न ही बड़े बैनर। भ्ााष्ाण्ा देने के बाद हार्दिक मंच से नीचे उतर जाते थे। लोगों से मिलते थे अाैर भाजपा को वोट नहीं देने की अपील करते थ्ाे। वडाेदरा का एक समर्थक कहता है, वे गुजरात के चुनाव में वही कमाल दिखाएंगे जैसा केजरीवाल ने दिल्ली में कर दिखाया है। खुद हार्दिक ने गुरुवार को अहमदाबाद जिले के विरमगाम में वोट डालने के बाद दावा किया कि 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 100 सीटें मिलेंगी।
भाजपा उनके दावे को सिरे से खारिज कर देती है। भाजपा के एक प्रदेश नेता ने बताया, ठाकरे स्टाइल की राजनीति गुजरात में कारगर नहीं रहेगी। यहां लोगों को जाति के आधार पर बांटना मुश्किल है। हार्दिक का प्रभाव राज्य के कुछ इलाकों के पटेल युवाओं तक ही सीमित है। मध्य गुजरात के बुजुर्ग पटेल और पढ़े-लिखे पाटीदारों के बीच उनको ज्यादा समर्थन प्राप्त नहीं है। हार्दिक के समर्थक इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनकी गाड़ी चलाने वाले लाल भाई कहते हैं, वे युवाओं के आइकॉन हैं और भाजपा को समाप्त कर देंगे।
ज्यादातर समर्थकों का यह भी मानना है कि सेक्स सीडी से हार्दिक को कोई नुकसान नहीं हुआ है और लोग समझते हैं कि गंदी राजनीति के तहत ऐसा किया गया। सीएसडीएस की स्टेट कन्वीनर महाश्वेता जानी ने बताया कि जनता से सहज संवाद स्थापित करने के मामले में मोदी के बाद हार्दिक राज्य के सबसे बेहतर नेता हैं। वे उसी तरीके से मुद्दों को उठा रहे हैं जैसा केजरीवाल ने दिल्ली में किया था। जाति की सीमाओं से परे उनकी बात गरीबों के बीच सुनी जा रही है।