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08 June 2017

मध्य प्रदेश में कैसे बेकाबू हुआ किसान आंदोलन, कहां हुई चूक

जून की एक तारीख को जब गेहूं, दाल, चावल उगाने वाले किसानों के अलावा फल-दूध-सब्जी बेचने वाले किसानो ने पश्चिमी मध्य प्रदेश में  आंदोलन किसानों ने शुरू किया तो सरकार ने मौन रूप धारण कर लिया।  जब आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच हुये झड़प की वारदाते बढ़ गयी तो मुख्यमंत्री ने ट्ववीट कर किसानो को समझाने की कोशिश की।  अपने ट्ववीट में मुख्यमंत्री ने कहा 'मैं अपने किसान भाइयों से आग्रह करता हूँ कि आप किसी के बहकावे में न आयें। आपकी हर समस्या के समाधान के लिए मैं प्रतिबद्ध हूँ।

पर ४८ घंटो में भीतर ही भीतर अन्नदाता क्रोधित हो चूका था। रविवार को अन्नदाता की नाराजगी तब बढ़ गई जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उज्जैन में चर्चा के बाद भारतीय किसान संघ के शिवकांत दीक्षित ने घोषणा की कि सरकार द्वारा उनकी सारी बातें मान ली जाने पर आंदोलन को स्थगित किया जाता है। इस घोषणा ने जैसे किसानो को भड़का दिया। उन्हे लगा की उनकी मांगे : किसानों को कर्ज माफी मिले,  सरकारी डेयरी दूध के ज्यादा दाम दे, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू हों और  किसानों पर दायर केस वापस लिए जाएं पर पानी फिर गया हो।

फिर क्या था, सोमवार को नीमच में किसानो और पुलिस के बीच जम कर   पथराव हुआ| नीमच जिले के भरभड़िया फोरलेन चौराहे पर बड़ी संख्या में किसानो ने आक्रोशित होते हुवे चक्काजाम कर दिया जिस पर पुलिस द्वारा उन्हें मोके से हटाने के समय किसानो और पुलिस के बीच जमकर पथराव हो गया जिस पर पुलिस ने जमकर लाठिया बरसाई और भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े इस बिच कई दो पहीया वाहनों में भी जमकर तोड़फोड़ की गई।

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मोके पर स्थिती बिगड़ते देख एसपी मनोज कुमार सिंह ने खुद मोर्चा संभाला और पथराव करने वाले लोगो की गिरफ़्तारी की जा रही है, वहीं दो पुलिसकर्मी विशाल नरवाले और कैलाश कुमरे भी पथराव के दौरान घायल हुवे है भड़भड़िया गाँव में जाने के तमाम रास्तो पर सर्चिंग अभियान चल रहा है। विरोध प्रदर्शन में सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित पीएम नरेंद्र मोदी के पुतले को भी फूंका।

किसान नेता तरुण बाहेती ने कहा की किसानो के साथ धोखा हुआ है किसानों की वाजिब मांगों पर चल रहे आंदोलन में किसानों पर जबरन लाठीचार्ज,अश्रुगैस का बलप्रयोग करना सरकार की विफलता का परिणाम है। किसानों के साथ ऐसा व्यवहार कर प्रदेश सरकार काला इतिहास लिख रही है। भड़भड़िया के किसानों पर लाठीचार्ज ओर अश्रुगैस का बल प्रयोग कर सरकार खुद आंदोलन को भड़का कर उग्र कर रही है। सरकार द्वारा किसानों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज करना कायराना हरकत है। खुद को अन्नदाता का भगवान कहने वाली सरकार खुद ही अन्नदाता को पीट रही है जो शर्मनाक है।

अभी नीमच में मामला शांत भी नहीं हो  पाया था की सोमवार रात हजारो की  संख्या में मंदसौर  से लगभग २० किलोमीटर स्थित दलोदा रेलवे  पहुंच गए   और जम कर तोड़ फाड़ कर दी।  प्रदर्शनकारी को पुलिस ने भगाया । मंगलवार की सुबह प्रदर्शकारी मंदसौर की पिपलियामंडी के पहुंचे।  पिपलिया में दोपहर हालात बेकाबू हो गए उग्र हुए आंदोलनकारियों ने बही पार्शवनाथ चौपाटी पर खड़े करीब 10 वाहनों में आग लगा दी उसके बाद पुलिस थाने का घेराव कर दिया।  आंदोलन कार्यो को रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग की जिसमे पांच किसानो की मौत हो गयी।  इससे पहले की हालात को एसपी ओपी त्रिपाठी और कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह पिपलिया मंडी पहुँच काबू में कर पाते मामला भयानक रूप ले चूका था।

घटना के बाद सरकार को ३ बार परिजन को दी जाने वाली सहायता राशि बदलनी पड़ी।  आखिरकार देर रात सर्कार ने एक सदस्य को योग्यतानुसार शासकीय सेवा में नियुक्त करने और मृतक के परिजन को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की। घायलों को 5 लाख रुपये की सहायता और नि:शुल्क इलाज करवाने की भी घोषणा की है। प्रदेश सरकार ने घटना की न्यायिक जाँच के आदेश दे दिये।  और मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर में हुई घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इस घटना से वह व्यथित हैं।

आज  मध्य प्रदेश के मलावा और निमाड़ में  आंदोलन बेकाबू हो चूका है। देवास, उज्जैन, नीमच, रतलाम जिलों में कई जगह वाहनों को जला डाला और तोड़ फोड़ की।

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में किसानों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए 5 किसानों के परिजनों ने कुछ देर पहले कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह के साथ मारपीट की और एक किमी तक उन्हें दौड़ाया। किसानों के परिजन अंतिम संस्कार में सीएम शिवराज सिंह चौहान को बुलाने की मांग करते हुए बरखेड़ी पंत इलाके में शव रखकर चक्काजाम कर रहे थे।  जब इस मामले की सूचना कलेक्टर के पास पहुंची तो कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह उन्हें समझाने पहुंचे | कलेक्टर को अपने बीच पाकर परिजन बौखला गए और उनके साथ मारपीट की और एक किमी तक उन्हें दौड़ाया। मौजद पुलिस ने कलेक्टर को किसानों से बचाकर वापस भेजा। इसके बाद किसानों ने एसपी का भी घेराव कर दिया। देवास, उज्जैन, नीमच, रतलाम, मंदसौर जिलों में इंटरनेट सेवायें बंद कर दी गयी है।  

 

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TAGS: uncontrollable, farmers movement, Madhya Pradesh, omission
OUTLOOK 08 June, 2017
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