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03 December 2015

केरल में बदल सकता है राजनीतिक गठजोड़

गुगल

केरल में स्थानीय चुनावों के नतीजों ने राज्य में मौजूदा समीकरणों में बड़ी परिवर्तन की भी जमीन तैयार की है। स्थानीय निकायों के चुनावों में वाम गठबंधन को बड़ी जीत मिली। राज्य में सरकार चला रही कांग्रेस अधिक सफल नहीं रह पाई, जबकि भाजपा ने कुछ इलाकों में अपनी पैठ मजबूत की। इसने राज्य सरकार में शामिल केरल मुस्लिम लीग के भीतर गहरी दुविधा पैदा की है। इसका सीधा असर अगले साल होने वाले केरल विधानसभा के चुनावों में पड़ सकता है। ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि आगामी चुनावों के लिए राज्य में केरल मुस्लिम लीग, कांग्रेस का साथ छोड़कर वाम दलों के गठबंधन (एलडीएफ) के साथ हो सकती है।

अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही लिए परेशानी बढ़ सकती है। स्थानीय निकायों में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन से ध्रुवीकरण तेज हुआ है। ऐसे में मुस्लिम लीग के कई नेताओं को लग रहा है कि कांग्रेस की सरकार और खासतौर से मुख्यमंत्री ओमन चांडी को उग्र हिंदुत्व के दुष्प्रचार का जवाब देना चाहिए था, वह नहीं दिया गया। खासतौर से बीफ पर देश भर में मचे हंगामे में सीधे मुकाबला करने के लिए वाम दलों का नेतृत्व उतरा, बीफ पार्टी आयोजित करने से लेकर केरल में भाजपा के दूसरे प्रचार के खिलाफ भी वाम दल ही जमीन पर ज्यादा सक्रिय दिखाई दिए। राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में हालांकि केरल मुस्लिम लीग शामिल है, लेकिन सरकार के ढीले-ढाले रवैये से वह पूरी तरह से नाखुश है। ऐसे में पार्टी के कई नेताओं ने इस बात का संकेत दिया कि आगामी चुनावों में वे एलडीएफ के साथ गठबंधन करने के बारे में गंभीरता से सोच सकते हैं। वैसे भी केरल मुस्लिम लीग के लिए प्राथमिकता इस बात की है कि आगामी चुनावों में भाजपा की बढ़त को रोकने वाली ताकत कौन होगी-कांग्रेस या वाम दल गठबंधन।  

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TAGS: मुस्लिम लीग, केरल, वाम दल, कांग्रेस, बदलाव, kerela, ldf, udf
OUTLOOK 03 December, 2015
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