आप का अंतर्कलह
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अरविंद को राजनीतिक मामलों की कमेटी का पुनर्गठन करने की ज़िम्मेदारी दी है। माना जा रहा है कि इस कमेटी से पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेन्द्र यादव का पत्ता कटना तय है।
अरविंद केजरीवाल को योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण जैसे स्पष्ठ वैचारिक दृष्टिकोण वाले लोग ज़्यादा पसंद नहीं हैं।
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दिल्ली चुनाव में अपनाये गये तरीक़ों को लेकर काफी गर्मा-गरम बहस हुई। दिल्ली में उम्मीदवारों के चयन और दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने के संबंध में पार्टी के भीतर तीखे मतभेद उभर कर आये। इसके बाद एक और मीटिंग हुई जिसमें यादव को नहीं बुलाया गया और अरविंद केजरीवाल को राजनीतिक मामलों की कमेटी का पुनर्गठन करने का एकाधिकार दे दिया गया। इससे पहले आलोचनाओं के घेरे में आने पर केजरीवाल ने पार्टी संयोजक पद से इस्तीफा देने की बात कही थी।
कार्यकारिणी ने उनके इस्तीफे की बात को अस्वीकार करते हुए उन्हें राजनीतिक मामलों को पुनर्गठित करने की भी जिम्मेदारी दे दी।
पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण लगातार पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का सवाल उठाते रहे हैं। अरविंद केजरीवाल को यह बात रास नहीं आ रही है। पार्टी कोई भी फैसला लोकतांत्रिक तरीके से लेने के बजाय व्यक्ति केंद्रित होकर फैसले ले रही है।