क्या कर्नाटक में भी भाजपा खेलेगी गोवा-मणिपुर-मेघालय जैसा दांव?
कर्नाटक चुनाव के नतीजों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लेकिन कांग्रेस-जेडीएस के समीकरण ने भाजपा के लिए कठिनाई खड़ी कर दी है। चुनाव से पहले जेडीएस को किंगमेकर माना जा रहा था लेकिन नतीजों ने उसे किंग में बदल दिया है। इस बीच अहम सवाल ये है कि क्या भाजपा के पास आखिरी दांव बचा है जिससे वह कर्नाटक की कमान हासिल कर सकती है।
कांग्रेस 77 सीटों पर या तो जीत हासिल कर चुकी है और एक पर आगे चल रही है। कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन का ऐलान कर दिया है। जेडीएस 37 सीटों पर जीत दर्ज कर चुका है। अब कांग्रेस और जेडीएस मिलकर भाजपा के 104 सीटों के सामने बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।
इन तमाम समीकरणों के बावजूद भाजपा की कोई सानी नहीं है। क्योंकि पिछले दिनों गोवा, मणिपुर और मेघालय में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी सरकार नहीं बना पाई। कांग्रेस बड़ी पार्टी होकर भी सत्ता हासिल नहीं कर पाई।
भाजपा के द्वारा सरकार बनाने के इतिहास पर नजर डालें तो तो पता चलता है गोवा में 40 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुआ था। बहुमत के लिए 21 सीटों की आवश्यकता थीं। कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं। जबकि भाजपा ने 13 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने एमजीपी और अन्य दलों के साथ राज्य में अपनी सरकार बना ली।
इसी प्रकार मणिपुर में भी बहुमत के लिए 31 सीटें जरुरी थीं। कांग्रेस ने 28 और भाजपा ने 21 सीटें हासिल की थीं। मगर भाजपा ने एनपीपी सहित अन्य दलों के साथ सरकार बना ली।
भाजपा ने मेघालय चुनाव में भी कांग्रेस को झटका दिया था। यहां कांग्रेस ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं भाजपा ने केवल 2 सीटें पाई थी। इसके बाद भी एनपीपी की अगुवाई में 6 दलों के साथ भाजपा ने सरकार बना ली।
इन बातों पर गौर करें तब कर्नाटक में सरकार बनाने को लेकर किसी भी दल का नाम लेना अभी जल्दबाजी होगी। हालांकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है तो ये रास्ता उतना सरल नहीं होगा। बहरहाल कांग्रेस-जेडीएस ने संयुक्त रूप से और भाजपा ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है।