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11 July 2017

मध्य प्रदेश: विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन की फसल कितना काट पाएगी कांग्रेस?

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भिंड जिले के लहार कस्बे में कल आयोजित हुये सम्मलेन में पार्टी के दिग्गजों- सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, सांसद कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह,  नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी,  प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, राष्ट्रीय महामंत्री मोहन प्रकाश, राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बबर किसानो के बहाने शिवराज सरकार पर जमकर बरसे और कांग्रेस में लुप्त हो चुकी 'एकजुटता' का परिचय दे डाला। 

इस सबके बावजूद नेताओ के अंदर बेचैनी देखने मैं साफ़ नजर आ रही थी।  बेचैनी क्यों ना हो भला क्योकि इन 13 वर्षो में भाजपा ने कांग्रेस को प्रदेश से उखाड़ फेका है।

गौरतलब है कि प्रदेश में अगले साल चुनाव होने है। पर आज की तारीख में मध्य प्रदेश में कांग्रेस तीनों ही स्तरों (लोकसभा, विधानसभा और नगरीय निकाय चुनाव ) में बहुमत में नहीं है। वर्ष 2003 की हार के बाद से ही मानो मध्य प्रदेश की कांग्रेस में भूचाल आ गया हो। जैसे जैसे कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ती चली गयी, कांग्रेस का ग्राफ गिरता चला गया।  वर्ष 2009 में प्रदेश से 6 सांसद चुने गए थे। पर वर्ष 2014 में सिर्फ दो ही लोक सभा पहुंच पाए। कुछ ऐसा ही हाल वर्ष 2008 और 2013 के विधान सभा चुनाव में भी देखने को मिला। वर्ष 2008 में संपन्न हुए विधान सभा की 230 सीटों के चुनाव में कांग्रेस पार्टी केवल 72 सीटों ही अपने पाले में बटोर पाई. ठीक पांच साल बाद हुए नवंबर 2013 विधान सभा चुनाव में पार्टी महज 58 सीटों पर जाकर सिमट गयी।

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पर इन सबके बावजूद प्रदेश के कदावर नेताओ में आपसी खींचतान को लेकर कभी मोह भंग नहीं हुआ। 2015 में सम्पन हुए नगरीय निकाय चुनाव में तो हद ही हो गयी। कांग्रेस 16 में से एक भी नगर निकाय  में अपनी जीत दर्ज कराने में असफल साबित हुई। पर लम्बे समय से कार्यकर्ताओ की शिकायत की कांग्रेस में नई जान नहीं आ रही है इस सम्मलेन में दब कर रह गयी। लहार के सम्मलेन में कार्यकर्ताओ ने एकजुटता को महसूस किया। 

पार्टी के कार्यकर्ता जवाहर पंजाबी का कहना है कि इस बार ऐसा लग रहा है जैसे सभी कार्यकर्ता अपनी पूरी ताकत झोकने के लिए तैयार बैठा है। सभी ने मानो कमर कस ली हो। पार्टी के नेताओं को चाहिये की वे एकजुटता बनाये रखे और स्थानीय नेताओं को तरजीह दे।

राजनैतिक हलकों में चर्चा है की कांग्रेस जल्द ही सभी वरिष्ठ नेताओं को इकट्ठा फील्ड में भेजने की योजना तैयार करने के अलावा कार्यकर्ताओं की सुनवाई करने जा रही है। वो चाहती है की किसान आंदोलन के बाद से मध्य प्रदेश भाजपा के पोस्टर बॉय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बॉडी लैंग्वेज में नोटिस किया गया फर्क बना रहना चाहिये।

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TAGS: Madhya Pradesh, Congress party, assembly elections, crop, Kisan movement, cut
OUTLOOK 11 July, 2017
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