पहले ही चुनाव जीत चुके हैं नेफियू रियो, जानिए क्यों है नगालैंड की राजनीति में उनका दबदबा
नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के उम्मीदवार और तीन बार मुख्यमंत्री रहे नेफियू रियो कोहिमा जिले के उत्तर अंगामी-2 विधानसभा क्षेत्र से पहले ही निर्विरोध जीत चुके हैं। अब नगालैंड में भाजपा और एनडीपीपी की मजबूत स्थिति में आने से नेफियो रियो की चर्चा स्वाभाविक रूप से हो रही है।
रियो कुछ महीने पहले एनपीएफ छोड़कर नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) में शामिल हो गए थे। एनपीएफ से बागी और नाराज नेताओं के द्वारा हाल ही में एनडीपीपी का गठन किया गया है। भारतीय जनता पार्टी ने एनपीएफ से हाथ मिलाकर नगालैंड विधानसभा का चुनाव लड़ा है। इस तरह भाजपा के समर्थन देने वाले रियो को राज्य में अगले मुख्यमंत्री के तौर पर भी देखा जा रहा है।
रियो साल 2003 से 2014 के बीच 11 सालों तक तीन बार नागालैंड के सीएम रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने सीएम की कुर्सी टीआर जेलियांग को दे दी थी।
रियो का जन्म 11 नवंबर 1950 को कोहिमा में हुआ था। उनके पिता का नाम गुलहॉली रियो है। वे अंगामी नागा जनजाति से आते हैं। उन्होंने बैप्टिस्ट इंग्लिश स्कूल, कोहिमा और सैनिक स्कूल, पुरूलिया, पश्चिम बंगाल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने कोहिमा आर्ट्स कॉलेज से स्नातक किया।
अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों के दौरान सक्रिय छात्र नेता रियो ने बहुत ही कम उम्र में राजनीति में कडम रखा था। उन्होंने नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने से पहले कई प्रतिष्ठित संगठनों का नेतृत्व किया था।
रियो 1989 में कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार के रूप में नागालैंड विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्हें खेल और स्कूल शिक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और बाद में तकनीकी शिक्षा और कला एवं संस्कृति मंत्रालय भी संभाला। उन्होंने नागालैंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, नागालैंड खादी एंड ग्राम इंडस्ट्रियल बोर्ड और नागालैंड के विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। 1993 में रियो नागालैंड के गृह मंत्री भी थे।
1998 से 2002 भी वे नगालैंड सरकार में मंत्री रहे। हालांकि इस दौरान वे कांग्रेस से इस्तीफा देकर नागा पीपल्स फ्रंट में शामिल हो गए। 2003 के आम चुनावों में भाजपा और क्षेत्रीय दोलों के गठबंधन की जीत हुई और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 10 साल के शासन के बाद 6 मार्च 2003 को रियो ने मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला।
अपना पहला कार्यकाल पूरा करने से पहले, रियो को मुख्यमंत्री के रूप में अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी जब 3 जनवरी 2008 को नागालैंड में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। हालांकि, आगामी चुनाव में उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और 12 मार्च 2008 को सरकार बनायी। 2013 के नागालैंड राज्य चुनावों में, एनपीएफ ने भारी बहुमत जीता और रियो को तीसरे कार्यकाल के लिए मुख्य मंत्री के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया। हालांकि 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने सीएम की कुर्सी टीआर जेलियांग को दे दी थी। अब 2017 में एनपीएफ से नाराजगी के चलते वे एनडीपीपी में शामिल हो गए। इस दौरान भाजपा भी एनपीएफ से रिश्ते तोड़कर एनडीपीपी के साथ हो गई है। हालिया रुझान में एनडीपीपी और भाजपा गठबंधन के मजबूत होने से रियो का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर चल रह है। लंबे सियासी अनुभव और हालात के मद्देनजर रियो का कद और भी बढ़ा हुआ माना जा रहा है।