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02 December 2015

बिहार: सरकार एक, दरबार अपने-अपने

पीटीआई

 राजनीतिक दांव-पेंच में कमजोर तेजस्वी और तेजप्रताप लालू के साथ ही रहकर सियासी गुण सीखेंगे और अधिकारियों को निर्देश देंगे कि क्या‍ करना है क्या‍ नहीं करना। एक तरफ मुख्य‍मंत्री नीतीश कुमार तो दूसरी ओर पूर्व मुख्य‍मंत्री लालू यादव के यहां दरबार लगना तय है। माना जा रहा है कि राज्य में सत्ता के दो केंद्र होने से मुश्किलें बढ़ेगी। क्यों‍कि जो भी फैसला लेना होगा उसमें नीतीश कुमार को सहयोगी दलों के विचार-विमर्श से ही लेना होगा। बिहार चुनाव परिणामों में राष्ट्रीय जनता दल भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो लेकिन चुनाव पूर्व किए गए वायदे के मुताबिक इस पार्टी ने नीतीश कुमार को मुख्य‍मंत्री पद के लिए समर्थन किया। लेकिन उपमुख्य‍मंत्री का पद लेकर नीतीश कुमार के कामकाज पर अंकुश लगाने की पहल भी कर दी।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि राज्य में सत्ता के दो केंद्र होने से कामकाज में दिक्क‍तें होगी लेकिन तेजस्वी कहते हैं कि बिहार के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगे। उपमुख्य‍मंत्री का पद संभालने के बाद तेजस्वी ने कहा कि बिहार के विकास की जो गति नीतीश कुमार के समय थी उससे भी तेज गति से विकास होगा। एक्श‍न में आ चुके तेजस्वी भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करते हैं लेकिन सरकार के कई महत्वपूर्ण मंत्रालय राजद के खाते में आ गए हैं। जिसे लेकर माना जा रहा है कि तेजस्वी और तेजप्रताप तो केवल चेहरा हैं असली शासन तो लालू यादव का है। इसलिए लालू ने अपने बेटों को निर्देश दिया कि वे बंगला न लेकर साथ रहें ताकि सरकार के कामकाज भी नजर रखी जा सके। लालू के साथ रहने का एक बड़ा फायदा उन अधिकारियों को भी होगा जो राजद प्रमुख के संपर्क में रहना चाहते हैं। लालू के खास रहे आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार को तेजस्वी के साथ जबकि आरके महाजन को तेजप्रताप का सचिव बना दिया गया है। लालू यादव जब रेल मंत्री थे तब सुधीर कुमार उनके साथ थे और रेलवे के कायाकल्प में इनका प्रमुख योगदान रहा। माना जा रहा है कि बेटों की छवि चमकाने में ये अधिकारी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगे। 

दूसरी ओर विकास पुरुष के रूप में छवि बना चुके नीतीश कुमार कोई फैसला कितनी आसानी से ले पाते हैं यह उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। राज्य में शराबबंदी का ऐलान कर सरकार ने अपना पहला वायदा पूरा कर दिया। शराबबंदी से होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई कैसे होगी इसको लेकर कमेटी का गठन कर दिया गया है। चुनाव में नीतीश कुमार ने कई वायदे किए हैं। जिनमें से एक-एक को पूरा करना भी एक चुनौती है। जानकार बताते हैं कि लालू यादव से हाथ मिला लेने के बाद नीतीश कुमार की छवि को धक्का‍ लगा है लेकिन अब सरकार में दोनों साथ मिलकर कैसे आगे चलते देखने वाली बात यह है। राज्य के एक वरिष्ठï आईएएस अधिकारी के मुताबिक कुछ मुद्दों पर आपस में टकराहट हो सकती है लेकिन जिस तरह से विभागों का बंटवारा हुआ है उससे कोई बड़ी चुनौती नहीं है। अधिकारी के मुताबिक राजद के पास कई महत्चपूर्ण मंत्रालय हैं वहीं नीतीश कुमार भी मुख्य‍मंत्री की हैसियत से बेहतर काम करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में भले ही सत्ता के दो केंद्र नजर आ रहे हों लेकिन फिलहाल नीतीश कुमार के सामने कोई बड़ी चुनौती नहीं है। एक दो साल के बाद मिल सकती है जब उपमुख्य‍मंत्री की हैसियत से तेजस्वी कोई बड़ा फैसला सोचेंगे। लेकिन विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी अभी से दोनों दलों के बीच टकराव की स्थिति का आकलन करने में जुट गई है। इसलिए नीतीश कुमार ने जब शराबबंदी की घोषणा की तो पार्टी के एक बड़े नेता ने ट्वीट किया कि क्या‍ लालू यादव इस पर कुछ बोलेंगे। ऐसे बहुत से मुद्दे होंगे जो दोनों ही दलों के लिए मुसीबत बन सकते हैं।

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TAGS: बिहार, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव, लालू यादव, राजनीति, राबड़ी देवी, bihar, lalu yadav, tejsvi yadav, tejpratap yadav, nitish kumar
OUTLOOK 02 December, 2015
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