69 फीसदी चंदे का स्रोत नहीं बताती पार्टियां
आयकर विभाग के नियम के मुताबिक राजनीतिक दलों को 20 हजार से कम की चंदे की रकम का स्रोत बताना अनिवार्य नहीं है। मजेदार बात यह है कि बसपा एक मात्र ऐसा राजनीतिक दल रहा, जिसने अपने चंदे से सौ फीसदी को अज्ञात स्रोत से बताती रही है।
एडीआर के आंकड़ों के मुताबिक 2004-05 से 2014-15 के बीच देश में सभी राजनीतिक दलों ने कुल 11367.34 करोड़ रुपये का चंदा मिलने का दावा किया है। इस चंदे के 69 फीसदी यानी 7833 करोड़ रुपये के स्रोत की जानकारी उन्होंने नहीं दी है। यानी ये सभी चंदे 20 हजार रुपये से कम में आए थे। ज्ञात दाताओं से राजनीतिक दलों को केवल 16 फीसदी यानी 1835.63 करोड़ रुपये का ही चंदा मिला था। इसके अलावा राजनीतिक दलों ने अपनी संपत्तियों को बेचकर, सदस्यता शुल्क जुटाकर या फिर बैंक के ब्याज से 15 फीसदी यानी 1698.73 करोड़ रुपये मिलने का दावा किया है।
आंकड़ों के मुताबिक 11 सालों में 10 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस को मिले कुल चंदे का 83 फीसदी यानी 3323.39 करोड़ रुपये के स्रोत का पता नहीं है। जबकि इसी दौरान भाजपा के मिले 65 फीसदी चंदे यानी 2125.91 करोड़ का स्रोत अज्ञात रहा। जाहिर है इस दौरान भाजपा को कांग्रेस को अज्ञात लोगों ने ज्यादा चंदा दिया। वहीं अज्ञात स्रोत से चंदा हासिल करने वाले क्षेत्रीय दलों में शिरोमणि अकाली दल और समाजवादी पार्टी अव्वल रही। समाजवादी पार्टी को 94 फीसदी यानी 766.27 करोड़ रुपये मिले चंदे का स्रोत अज्ञात है, जबकि शिरोमणि अकाली दल को 86 फीसदी यानी 88.06 करोड़ रुपये के चंदे के स्रोत का पता नहीं है।
हैरानी की बात यह है कि 2004-05 से 2014-15 के बीच राष्ट्रीय दलों को मिलने वाले अज्ञात स्रोत से चंदे में 313 फीसदी का जबरदस्त इजाफा हुआ है। 2004-5 में जहां इन्हें केवल 274.13 करोड़ रुपये अज्ञात स्रोत से मिले थे, वहीं 2014-15 में यह बढ़कर1130.92 करोड़ रुपये हो गया। जबकि क्षेत्रीय दलों को मिलने वाले अज्ञात चंदे में 652 फीसदी की बढ़ोतरी होकर 37.39 करोड़ रुपये से281.01 करोड़ रुपये हो गया।