Advertisement
29 June 2021

खुली चुनौती! - समर्थकों ने कहा, “राजस्थान में वसुंधरा हीं भाजपा और भाजपा हीं वसुंधरा है“, अब क्या करेंगे मोदी-शाह

“राजस्थान में वसुंधरा हीं भाजपा और भाजपा हीं वसुंधरा है...।” यही नारा राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बगावती खेमे में गुंज रहा है। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की वरिष्ठ नेता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे के राजनीतिक समर्थकों ने अपने शीर्ष आलाकमानों को खुली चुनौती दे डाली है। भले ही आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में अभी दो वर्ष से अधिक का समय है, लेकिन समर्थकों ने अभी से वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए जाने की मांग को तेज कर दी है। ये बगावत बीते कई महीनों से जारी है। साल की शुरूआत में सियासी पारा तब हाई हो गया था जब राजे समर्थकों ने “वसुंधरा राजे समर्थक राजस्थान मंच” के गठन का ऐलान कर दिया था। अब समर्थकों ने सीधे तौर पर दिल्ली तक को अलटिमेटम दे दिया है। बीते दिनों राजे समर्थक और प्रदेश के पूर्व मंत्री भवानी सिंह राजावत ने कहा था कि देश में भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं तो राजस्थान के लिए वसुंधरा राजे। आउटलुक से बातचीत में राजावत कहते हैं कि पार्टी के पास राज्य में ना कोई और चेहरा है और ना ही कोई अन्य विकल्प। वो कहते हैं, “पूरी बातों को आलाकमानों के सामने रख दिया गया है। यदि पार्टी नहीं मानती है तो शक्ति प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। पार्टी को समर्थकों की बातों को मानना हीं होगा।"

वहीं, सोमवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता रोहिताश्व शर्मा को पार्टी के खिलाफ बयान देने को लेकर नोटिस जारी किया। भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि जो लोग पार्टी के विरुद्ध बयानबाजी करेंगे उनपर कार्रवाई होगी। रोहिताश्व शर्मा वसुंधरा राजे के करीबी नेता हैं। 

दरअसल, राज्य में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा, दोनों के भीतर कलह के बुलबुले लगातार फूट रहे हैं। कांग्रेस में राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के रूख लगातार सख्त बने हुए हैं वहीं भाजपा में वसुंधरा राजे समर्थकों के तेवर गरम है। कुर्सी की खींचातानी दोनों दलों में बराबर जारी है। राजे समर्थकों का कहना है कि जब से उन्हें नजरअंदाज करना शुरू किया गया है, पार्टी कई मोर्चों पर कमजोर होती जा रही हैं। पूर्व मंत्री राजावत कहते हैं, “उपचुनाव से लेकर नगर निकाय चुनाव तक- हमें बेहतर सफलता नहीं मिली है। प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया के नेतृत्व में हमने ये सारे चुनाव लड़े हैं और परिणाम सामने है। राज्य में वसुंधरा ही भाजपा के लिए एक मात्र विकल्प है।“

Advertisement

वहीं, राज्य प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है, "आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से चेहरा घोषणा करने की मांग करना कहीं से भी जायज नहीं है। लंबा वक्त है। चेहरा कौन होगा, ये पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करेगी, कोई नेता नहीं। मुझे ये समझ नहीं आ रहा है कि अभी से क्यों उनके समर्थकों द्वारा चेहरा घोषित करने की मांग की जा रही है। हमारे पास कई चेहरे हैं। यदि किसी को कोई दिक्कत या राजनीतिक असंतुष्टता है तो वो सीधे पार्टी आलाकमानों तक अपनी बातों को रख सकते हैं। मीडिया-सोशल मीडिया के जरिए बातों को रखना उचित नहीं है। चाहने वाले सभी के होते हैं।" इस बगावत के पीछे पूनिया कांग्रेस पार्टी का भी हाथ बताते हैं। उनका कहना है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की वजह से कांग्रेस के भीतर लगातार कलह की स्थिति बनी हुई है। वो कहते हैं, “राजे समर्थकों की खुली चुनौती के पीछे भी कांग्रेस की चाल है। पायलट खेमे के बगावती रवैये को ढकने के लिए हमारी पार्टी को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है।" पूनिया के आरोप पर कांग्रेस प्रवक्ता सत्येंद्र राघव कहते हैं, “राजे की क्षमता को भाजपा नकार नहीं सकती है। कांग्रेस बेहतर काम कर रही है। उपचुनाव परिणाम ने इसे साबित किया है। चुनाव से पहले वसुंधरा की बगावत राज्य में तीसरी पार्टी को जन्म दे सकती है।“

बीते कई घटनाक्रम की वजह से भाजपा के भीतरी अंदरूनी कलह राजनीतिक पिच पर दौड़ रही है। पार्टी अब वसुंधरा राजे को किनारे लगाने में जुटी हुई है। पूनिया भी आउटलुक से कई बार दोहरा चुके हैं, “राज्य में जिस तरह वोटरों का जेनेरेशन बदलता है, उसी तरह नेतृत्व भी बदलना चाहिए।“ बैठक में वसुंधरा राजे को आमंत्रित ना किए जाने से लेकर अब पोस्टर से भी उन्हें हटा दिया गया है। पार्टी ने प्रदेश पार्टी मुख्यालय के बाहर लगाए गए नए होर्डिंग से वसुंधरा को चलता कर दिया है। आउटलुक से भवानी सिंह राजावत कहते हैं, “ये कई महीनों से चल रहा है। पहले उन्हें कार्यक्रमों में नहीं बुलाया जाता था। अब होर्डिंग से तस्वीर को हटा दिया गया है। लेकिन, हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। भाजपा को ये मानना होगा कि वसुंधरा के बिना राज्य में पार्टी कुछ नहीं है। पूनिया के नेतृत्व में जो चुनाव हुए हैं, उसके परिणाम ने इसे साबित कर दिया है।“ वहीं, पोस्टर विवाद पर पूनिया कहते हैं, “ये कोई बड़ी बात नहीं है। कहीं मेरी भी तस्वीर नहीं होती है।“ वसुंधरा के किनारे करने के संकेत पर राजनीतिक एक्सपर्ट का मानना है कि ये पार्टी की सबसे बड़ी गलती होगी।

पूरे मामले पर अभी तक दिल्ली में बैठे आलाकमानों का नेतृत्व चुप्पी साधे हुए है। उपचुनाव से पहले जेपी नड्डा ने जयपुर दौरे के दौरान मंच साझा करते हुए पूनिया और राजे के हाथ को एक साथ उठाकर "एकला मत चलो" का संदेश दिया था। लेकिन, कलह खत्म होने की बजाय बढ़ती हीं जा रही है।

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Rajasthan, Vasundhara Raje, BJP, Amit Shah, PM Modi, Satish Puniya, Neeraj Jha, नीरज झा
OUTLOOK 29 June, 2021
Advertisement