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16 June 2021

LJP को RJD का सपोर्ट, कहा- चिराग दें तेजस्वी का साथ, नीतीश सरकार बस कुछ महीनों की, मांझी-सहनी समेत कई हमारे संपर्क में

File Photo

मंगलवार को लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के सांसद चिराग पासवान को अपनी ही पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया। जिसके बाद चिराग पासवान ने बुलाई गई कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लेते हुए चाचा और हाजीपुर से सांसद पशुपति कुमार पारस समेत सभी पांचों को सांसदों को पार्टी से निकाल दिया। लोजपा में चल रहे घमासान से बिहार का सियासी पारा हाई है। इसके पीछे नीतीश की चाल बताई जा रही है।

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वहीं, चिराग पासवान और लोजपा को महागठंबन का साथ मिलता नजर आ रहा है। आउटलुक से बातचीत में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं, “लोजपा पहले भी लालू और आरजेडी के साथ काम की है। पशुपति पारस को नीतीश ने लालच दिया होगा। यदि चिराग की तरफ से महागठबंधन को लेकर कोई बयान आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे। कोरोना काल में देश महामारी से लड़ रहा है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोजपा को खत्म करने के लिए पशुपति पारस के कंधे पर रख स्क्रिप्ट लिख रहे हैं। इस पूरे कलह और बगावत के पीछे उन्हीं की रणनीति है।“

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सांसद चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर सूरजभान सिंह को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। साथ हीं एक सप्ताह के भीतर नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का ऐलान भी करने का दावा किया गया है। बताया जा रहा है कि पशुपति पारस हीं नए अध्यक्ष होंगे। वहीं, चिराग ने चाचा पशुपति कुमार पारस समेत पांचों सांसदों- सांसद वीणा देवी, महबूब अली कैसर, चंदन सिंह और प्रिंस सिंह को पार्टी से निकाल दिया है। चिराग समर्थकों का कहना है कि चिराग ही पार्टी के अध्यक्ष हैं।

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जेडीयू को महज 43 सीट मिली है। जिससे सबसे बड़ा झटका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगा था। इसके पीछे का पूरा खेल चिराग पासवान का बिहार एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ना और नीतीश के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर चुनाव प्रचार करना माना गया। जिसका नतीजा हुआ कि नीतीश बड़े भाई की भूमिका से छोटे भाई की भूमिका में आ गएं क्योंकि, घटक दल भाजपा 74 सीट पाने में कामयाब रही। तिवारी भी इस बात को मानते हैं, "चिराग की वजह से जेडीयू को नुकसान हुआ।" लेकिन, राजनीतिक पंडितों ने इसके पीछे नीतीश को कमजोर करने के लिए भाजपा की रणनीति भी बताई।

आउटलुक से आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं, "नीतीश और भाजपा दूसरों के घर को तोड़ने में लगी हुई है। लेकिन, बहुत जल्द एनडीए टूटने वाली है। उन्हें अपने सहयोगी दल भाजपा के अरूणाचल मामले को नहीं भूलना चाहिए।" दरअसल, राज्य में फिर से नीतीश सरकार के बनने के कुछ महीने बाद हीं अरूणाचल प्रदेश के आधे दर्जन विधायक जेडीयू से भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद जेडीयू ने भाजपा के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी। वहीं, कई महीनों से नीतीश द्वारा लोजपा को कमजोर करने और जमीन खिसकाने की रणनीति दिखाई दे रही है। लोजपा के एक मात्र विधायक राजकुमार सिंह जेडीयू में शामिल हो चुके हैं। वहीं, जो सांसद लोजपा से निकाले गए हैं, उनके भी जेडीयू में शामिल होने की अटकलें हैं। तिवारी कहते हैं, "यदि ऐसा होता है तो जेडीयू मजबूत स्थिति में आ जाएगी। लेकिन, उनके ही घटक दलों के नेता और विधायक महागठबंधन के संपर्क में हैं।"

तिवारी का दावा है कि हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (एचएएम) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख और मंत्री मुकेश सहनी आरजेडी के संपर्क में हैं और तेजस्वी की बातों से सहमत दिखते हैं। तिवारी कहते हैं, "मांझी सीधे तौर पर भाजपा और पीएम मोदी को निशाने पर ले रहे हैं। सहनी भी नीतीश सरकार से नौकरी और रोजगार पर बात करने को कह रहे हैं। लालू यादव के जन्मदिन पर पार्टी की इनके साथ अच्छी बातचीत हुई है।"

बिहार विधानसभा के गणित पर गौर करें तो एआईएमआईएम के पांच विधायक हैं। जबकि मांझी और साहनी के चार-चार विधायक हैं। तेजस्वी की अगुवाई वाली महागठबंधन के पास कुल 110 विधायक हैं। यदि ऐसा होता है जैसा तिवारी दावा कर रहे हैं तो नीतीश सरकार संकट में आ सकती है। क्योंकि, एनडीए सरकार 122 के बहुमत के आंकड़े से महज दो-तीन सीटें अधिक है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का ये भी मानना है कि मांझी-सहनी का अलग होना इतना आसान नहीं है। क्योंकि, भाजपा अपना सिक्का खेलना जानती है।

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TAGS: RJD, LJP, Tejashwi Yadav, Chirag Paswan, Nitish Government, Jitan Ram Manjhi, Mukesh Sahni, Neeraj Jha, नीरज झा
OUTLOOK 16 June, 2021
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