राष्ट्रपति चुनाव में इसलिए महत्वपूर्ण है शिवसेना का वोट
राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना के पास 25 हजार से अधिक वोट हैं जबकि वर्तमान एनडीए को जिसमें शिवसेना भी शामिल है, अपना राष्ट्रपति जिताने के लिए अभी 20,000 से 25,000 वोटों की कमी है। अगर शिवसेना ने इस चुनाव में भाजपा का साथ नहीं दिया तो भाजपा को करीब 50 हजार अतिरिक्त वोटों का जुगाड़ करना पड़ेगा।
राउत ने भाजपा की ओर से शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को दिल्ली बुलाकर चुनाव की रणनीति तैयार करने की खबरों का खंडन किया है। उन्होंने भाजपा नेताओं से मातोश्री आने को कहा है। बांद्रा नगर में स्थित मातोश्री उद्धव ठाकरे का आवास है। उन्होंने इस ओर भी इशारा किया कि साल 2007 और साल 2012 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए शिवसेना के समर्थन पर बातचीत मातोश्री में ही हुई थी। भाजपा के सूत्रों ने बताया, पार्टी के लिए मामला जटिल है क्योंकि तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार, दिल्ली जैसे राज्यों में भाजपा के पास पर्याप्त विधायक नहीं हैं जिसके कारण उसे वोट कम पड़ रहे हैं। अगर शिवसेना पार्टी को समर्थन नहीं देती है तो राष्ट्रीय स्तर पर वोटों की तगड़ी कमी हो सकती है।
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं। इनमें से शिवसेना के 63 विधायक हैं। महाराष्ट्र में एक विधायक के वोट का मूल्य 175 है। विधायकों के वोटों के मूल्य के मुताबिक शिवसेना के विधायकों के वोटों का मूल्य 11025 है। दूसरी ओर लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर शिवसेना के पास 21 सांसद हैं। सांसदों के एक वोट का मूल्य 708 है। यानी शिवसेना के पास 14868 संसद में हैं। दोनों को जोड़ दें तो वोट 26 हजार के करीब पहुंच जाते हैं। जाहिर है कि भाजपा इस वोट को गंवाना नहीं चाहती। ऐसे में पार्टी उद्धव ठाकरे को साधने में जुटी है मगर हाल में दोनों दलों में कड़वाहट बेहद बढ़ गई है। महाराष्ट्र में भाजपा के उभार ने शिवसेना को सतर्क कर दिया है और इस लिए राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को शिवसेना का समर्थन आंखमूंद कर तय नहीं माना जा सकता।