Advertisement
26 April 2017

नजरिया: दिल्ली में इन 6 वजहों से मिली 'आप' को मात

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी ने सिर्फ दो साल केे भीतर फर्श से अर्श और अर्श से फिर फर्श तक का सफर तय कर लिया है। इस दौरान आप की ईमानदारी, भ्रष्टाचार के खिलाफ संकल्प और चुनावी वादों की खूब परीक्षा हुई। स्थानीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के ये हैं 5 प्रमुख कारण

1. नकारात्मक राजनीति को जनता ने नकारा

केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली के उप राज्यपाल के साथ दिल्ली सरकार के रोज-रोज के टकराव से आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की छवि खराब हुई। दिल्ली की जनता ने विधानसभा चुनाव में आप को जो प्रचंड बहुमत दिया था, आप उसे संभाल नहीं सकी। खासतौर पर दिल्ली में सफाईकर्मियों के हड़ताल और डेंगू पर राेेेकथाम के मुद्देे पर अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति को अपनाया, वह आत्मघाती साबित हुई। भाजपा ने भी आप और उसके नेताओं की छवि खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक के बाद एक आप नेताओं का विवादों में पड़ना भी पार्टी पर भारी पड़ा।  

Advertisement

2. सत्ता में आते ही वरिष्ठ नेताओं से किनारा

दिल्ली की सत्ता संभालते ही आम आदमी पार्टी ने प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव जैसे वरिष्ठ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इससे भी अरविंद केजरीवाल की छवि धमंडी और तानाशाही तरीके से पार्टी चलाने की बनी। भले ही योगेंद्र यादव की स्वराज इंडिया भी एमसीडी चुनाव में कोई असर नहीं दिखा पाई, लेकिन इस फूट से पार्टी को नुकसान जरूर हुआ है।

3. दिल्ली छोड़ पंजाब की फ्रिक 

अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह दिल्ली की समस्याओं और मुद्दाेें को दरकिनार कर पंजाब चुनाव में खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया, उससे भी शायद दिल्ली की जनता की विश्वास टूटा है। राजौर गार्डन में आप उम्मीदवार की हार पर खुद अरविंद केजरीवाल ने कबूल किया था कि वहां की जनता स्थानीय एमएलए के इस्तीफा देकर पंजाब में चुनाव लड़ने से नाराज थी। यही बात आम आदमी पार्टी और खुद अरविंद केजरीवाल पर भी लागू हो सकती है।

4. मुस्लिम मतदाताओं का कांग्रेस की तरफ रुझान

2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली कामयाबी के पीछे मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हाथ था। लेकिन एमसीडी के नतीजें बताते हैं कि बड़ी तादाद में मुस्लिम मतदाताओं का रुझान वापस कांग्रेस की तरफ मुड़ा है। जामा मस्जिद, अजमेरी गेट, मुस्तफाबाद, शास्त्री पार्क, अबुल फजल एनक्लेव जैसे मुस्लिम बहुल वार्डों में कांग्रेस ने आप को कड़ी टक्कर दी। पुरानी दिल्ली की चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र में आने वाले तीनों वार्ड में आप उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा हैैै। तीनों वार्ड में हार की जिम्मेदारी लेते हुए आप की स्थानीय विधायक अलका लंबा ने सभी पदों और विधायक पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। 

5. अपने ही गढ़ में चित आप के धुरंधर 

आम आदमी पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के गढ़ में भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के क्षेत्र में आप चार में से सिर्फ एक वार्ड बचाने में कामयाब रही है। हालांकि, सिसाैदिया ने इसके पीछे भाजपा की ईवीएम रिसर्च को वजह माना है। गोपाल राय, अलका लांबा, कपिल मिश्रा के विधानसभा क्षेत्राेें का भी कमोबेश यही हाल है। 

6. सारा दोष ईवीएम पर

पंजाब और गोवा की हार के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जिस तरह सारा दोष ईवीएम पर डाला, उससे भी मतदाताओं में गलत संदेश गया। हालांकि, आप ने एमसीडी में भाजपा के 10 साल के कुशासन को मुद्दा बनाया लेकिन सारी कोशिशें बेअसर रहीं। दिल्ली के लोगों को भराेेसा ही नहीं हुआ कि नगर निगमों में आम आदमी पार्टी अच्छा शासन दे सकती है। एमसीडी में हार के बाद भी आप नेेेता सारा ठीकरा ईवीएम पर ही फोड़ रहे हैं। गोपाल राय ने तो यहां तक कहा है कि यह मोदी लहर नहीं, ईवीएम की लहर है। 

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: DELHI MCD, AAP, BJP, MANISH SISODIA, ARVIND KEJRIWAL, आम आदमी पार्टी, अरविंद केजरीवाल, मनोज तिवारी, मनीष सोसोदिया, परिणाम
OUTLOOK 26 April, 2017
Advertisement