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03 April 2021

तेजस्वी यादव का फेल हुआ 'होली' दांव, ऐसे नीतीश पड़े भारी

File Photo/ PTI

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के मुखिया और महागठबंधन के चेहरे तेजस्वी यादव बीते साल नवंबर में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के बाद से दावा कर रहे हैं कि ये सरकार छह महीने से ज्यादा नहीं चल पाएगी। एनडीए के बीच चल रहे रस्साकशी से तेजस्वी को उम्मीद है कि नीतीश सरकार कलह में गिर जाएगी। यहां तक कि आउटलुक से बातचीत में आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया था कि होली बाद बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है। होली नहीं, तो बंगाल चुनाव बाद तो होगा ही। राजद का इशारा नीतीश सरकार के गिरने को लेकर था। लेकिन, होली बीतने के बाद फिर वही सवाल जिंदा हो गए हैं कि क्या तेजस्वी का होली वाला दांव फेल हो गया है।

होली के खत्म हुए तीन-चार दिन हो चुके हैं जबकि बंगला चुनाव का दो चरण संपन्न हो चुके हैं लेकिन, ऐसा कुछ भी नीतीश सरकार में देखने को मिल रहा है जिसका दांवा तेजस्वी की पार्टी ने किया था। नीतीश ने गठबंधन के भीतर उपजे कलह को फिर से पाट लिया है। यहां तक कि वो अब अपने पुराने बिछड़े साथी को भी साधने में लगे हुए हैं। 13 मार्च को रालोसपा के करीब तीन दर्जन से अधिक नेता राजद में तेजस्वी की उपस्थिति में शामिल हुए थे। 

दरअसल, रालोसपा के प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा समेत बिहार-झारखंड के तमाम पदाधिकारी तेजस्वी यादव की मौजूदगी में आरजेडी में शामिल हो गए हैं। इसके बाद तेजस्वी यादव ने तंज कंसते हुए कहा था कि उपेंद्र कुशवाहा जी को छोड़कर पूरी पार्टी का राजद में विलय हो गया है। लेकिन, इसके बाद भी पार्टी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू में रालोसपा का विलय कर दिया। उन्हें जेडीयू ने पार्टी संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया है।

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बिहार विधानसभा चुनाव में कमजोर होने के बाद जेडीयू की निगाह अपने पुराने 'लव-कुश समीकारण' पर है। राज्य में आठ से नौ फीसदी कुर्मी-कोइरी का वोट बैंक है। लिहाजा कुशवाहा नेताओं को अपने पाले में करने के प्रयास लगतार जारी है। पार्टी ने पहले अपने प्रदेश अध्‍यक्ष के पद पर उमेश कुशवाहा को बैठाया। फिर कुशवाहा समाज के बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा अपनी पूरी पार्टी के साथ जेडीयू में शामिल हो गए। वहीं, अब पार्टी की नजर एक और मजबूत कुशवाहा नेता भगवान सिंह कुशवाहा पर है, जिन्होंने टिकट नहीं मिलने पर बीते विधानसभा चुनाव के समय जेडीयू छोड़ दिया था। स्पष्ट है कि नीतीश लगातार अपने कुनबे को मजबूत करने में लगे हुए हैं।

वहीं, एमएलसी की बारह सीटों को भाजपा-जेडीयू में बराबर बांटने और वीआईपी-हम को नजरअंदाज करने की वजह से उपजे भीतरी कलह पर भी नीतीश ने संभवत: पर्दा डाल दिया है। क्योंकि, मनोनयन के बाद हम के प्रमुख और पूर्व सीएम ने सख्त लहजे में कहा था कि कोई बड़ा फैसला लेना पड़ेगा। लेकिन, अभी तक हम और वीआईपी ने कोई ऐसा कदम नहीं उठाया है।

 

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TAGS: Tejashwi Yadav, Nitish Kumar, तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार
OUTLOOK 03 April, 2021
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