महाराष्ट्र में एमवीए सरकार की स्थिरता पर अनिश्चितता, छोटे दलों और निर्दलीय 29 विधायकों का रूख हो सकता है अहम
शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे के गुजरात में पार्टी के कुछ विधायकों के साथ डेरा डाले जाने के मद्देनजर महाराष्ट्र एमवीए सरकार की स्थिरता पर अनिश्चितता के बीच छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के 29 विधायकों का रुख महत्वपूर्ण होने की संभावना है। शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन के कारण 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा में एक पद रिक्त है। किसी भी पार्टी या गठबंधन को साधारण बहुमत के साथ सत्ता में रहने के लिए 144 विधायकों की जरूरत होती है। महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के बाद विधान परिषद चुनाव में भी उद्धव सरकार को झटका लगा है। इसके बाद से राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
महा विकास अघाड़ी (एमवीए- जिसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं) सरकार ने 30 नवंबर, 2019 को विधानसभा के पटल पर विश्वास मत जीता था, जिसमें 169 विधायकों ने गठबंधन के पक्ष में मतदान किया था। शिवसेना के पास फिलहाल 55 विधायक हैं, एनसीपी के 53 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। भाजपा ने 2019 में 105 सीटें जीती थीं, लेकिन एक उपचुनाव में एनसीपी से पंढरपुर विधानसभा सीट पर कब्जा करने के बाद उसकी संख्या बढ़कर 106 हो गई।
सदन में 13 निर्दलीय हैं। उनमें से एक - राजेंद्र पाटिल येद्रवकर - शिवसेना कोटे से एमवीए सरकार में मंत्री हैं। इसी तरह, नेवासा से क्रांतिकारी शेतकारी पक्ष के विधायक शंकरराव गडख और प्रहार जनशक्ति पार्टी के बच्चू कडू भी शिवसेना कोटे से मंत्री हैं। प्रहार जनशक्ति पार्टी के सदन में दो विधायक हैं। 13 निर्दलीय उम्मीदवारों में से छह भाजपा के समर्थक हैं, पांच ने शिवसेना का समर्थन किया है, जबकि कांग्रेस और राकांपा को एक-एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है। विनय कोरे (जनसुराज्य शक्ति पार्टी) और रत्नाकर गुट्टे (राष्ट्रीय समाज पक्ष) भी भाजपा के समर्थक हैं। इसके अलावा देवेंद्र भुयार (स्वाभिमानी पक्ष) और श्यामसुंदर शिंदे (पीडब्ल्यूपी) एनसीपी के समर्थक हैं।
इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र की छह सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में, एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी ने दो-दो विधायकों ने कांग्रेस का समर्थन किया था, जबकि बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) के तीन विधायकों ने भाजपा का समर्थन किया था। महाराष्ट्र विधान परिषद की 10 सीटों के लिए सोमवार को हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन सभी पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिन पर उसने प्रत्याशी उतारे थे। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (रांकापा) को दो-दो सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस को एक ही सीट से संतोष करना पड़ा। चुनाव में महाविकास अघाड़ी के कई विधायकों ने क्रॉस वोटिंग किया था, जिसके बाद से ही सियासी सुगबुहाट शुरू हो गई थी। राज्यसभा चुनाव के बाद, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) को भाजपा की ओर से महाराष्ट्र में मिला यह दूसरा बड़ा झटका है।