भाजपा सरकार के दो साल, बड़े दावों के बावजूद यूपी में जमीनी स्तर पर नहीं दिखी बेहतरी
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के दो साल पूरे होने पर दावे तो बड़े-बड़े किए जा रहे हैं लेकिन जमीन पर आम लोगों को अंतर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। फिर चाहे बात रोजगार, भ्रष्टाचार नियंत्रण, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाओं में किसी की भी हो। सरकार बार-बार यह कहती और दावा करती है कि हमने दो साल में बहुत काम किया लेकिन आम जनता को महसूस कराने में अभी और वक्त लगेगा। उसका कहना है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद दो साल का कार्यकाल शानदार रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो साल पूरे होने पर रिपोर्ट कार्ड पेश किया और करीब सवा घंटे तक वह सरकार की उपलब्धियां नान स्टाप बताते रहे। इस दौरान उन्होंने सपा, बसपा और कांग्रेस की सरकारों से अपने अल्प दो साल के कार्यकाल की भी तुलना की। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने 68 वर्षों के बाद उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस मनाना शुरू किया। आज हमें खुशी हो रही है कि ये वही प्रदेश है जिसकी पहचान दंगों से होती थी, लेकिन 24 महीने के कार्यकाल को पूरा करने के बाद हमने प्रदेश की पहचान को बदलने का काम किया है। हमने 24 महीने में प्रदेश की उस तस्वीर को बदलने की कोशिश की, जिसके ऊपर कई बदनुमा दाग लगे थे। योगी ने कहा कि कांग्रेस ने आजादी के बाद से सबसे ज्यादा समय तक प्रदेश में शासन किया, लेकिन इतने दिनों में प्रदेश को बीमारू राज्य की उपाधि दिलवाई।
निस्संदेह योगी सरकार ने दो साल में प्रदेश की हालत सुधारने के लिए कई काम किए, लेकिन उन कार्यों के धरातल पर उतरने में अभी वक्त है। कई मुद्दों पर और काम करने की जरूरत है। सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात तो करती है, लेकिन धरातल पर इसका असर कम है और सरकार की ओर से दो सालों में भ्रष्टाचार को लेकर कोई बड़ी कार्यवाही नहीं गई। सतर्कता अधिष्ठान, आर्थिक अपराधा शाखा (ईओडब्ल्यू), सीबीसीआइडी, एंटी करप्शन ब्यूरो, एसआइटी सहित अन्य जांच एजेंसियों में करीब 400 से अधिक मामले लंबित हैं। इसमें नेताओं, पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों के अलावा आइएएस, आइपीएस, पीसीएस, पीपीएस के अलावा अन्य संवर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम शामिल हैं। प्रदेश में आइएएस से लेकर राजस्व सेवाओं तक के करीब तीन सौ ऐसे वरिष्ठ अधिकारी हैं, जिन पर भ्रष्टाचार से संबंधित मामले अरसे से विचाराधीन हैं, लेकिन कई समीक्षा बैठकों के बाद भी इन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। आइएएस अफसरों से लेकर राज्य सेवाओं तक के 63 मामलों में 100 अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही लंबित है। सतर्कता विभाग की ओर से 30 मामलों में आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए संबंधित विभागाध्यक्षों का सहमति मांगी गई, लेकिन वह अपने विभाग के अधिकारियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि सुरक्षा के बेहतर माहौल देने के कारण देश में प्रदेश की कानून व्यवस्था एक नजीर बनी है। सुरक्षा के इस माहौल के कारण पांच लाख करोड़ रुपये तक के निवेश का प्रस्ताव हमें प्राप्त हुआ है। पिछले दो वर्ष के दौरान सरकार प्रदेश में 1.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश कराने में सफल रही है, जिससे 15 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार मिला है। इसके साथ ही पूरी पारदर्शिता के साथ दो लाख 25 हजार युवाओं को विभिन्न विभागों में सरकारी नौकरी दी गई है, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर निवेश होने के बावजूद धरातल पर इतना निवेश दिख नहीं रहा है।
रोजगार को लेकर सरकार की ओर से जितनी कोशिश की जा रही है, वह नाकाफी साबित हो रही है। ज्यादातर विभागों में परीक्षाओं के बाद नौकरियों के लिए आवेदकों को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है। जिस कारण नियुक्तियों में काफी देरी हो रही है। कुछ माह पहले ही उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष सीबी पालीवाल ने भी इस्तीफा दिया था।
सरकार की ओर से वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोजेक्ट को लेकर दावा किया जा रहा है कि इससे रोजगार बढ़ा। इसके माध्यम से अब तक पांच लाख लोगों को रोजगार मिला है। इस योजना में हर जिले के प्रमुख उद्योग को चुनकर विकास किया गया है।इस दौरान सरकार ने इन उद्योगों में लगे 21 लाख 84 हजार 513 कारोबारियों को 17 हजार 431 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद प्रदान की। इन उद्योगों का विकास होने से रोजगार पैदा हुए। हालांकि योजना में सरकार के पास ऐसे ठोस आंकड़े नहीं हैं, जिनसे कहा जा सके कि इस योजना से कारोबारियों का व्यापार बढ़ा और वास्तव में रोजगार के अवसर पैदा हुए।यद्यपि यह सही है कि पहली बार किसी सरकार ने इस बारे में सोचा है और काम शुरू किया है।
सरकार का दावा है कि दो सालों में किसानों के लिए कई अभिनव कार्य किए गए। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि सरकार ने 36 हजार करोड़ के प्रावधान से लघु एवं सीमांत किसानों की एक लाख रुपये तक की कर्ज माफी की। यह योजना देश की अब तक की सबसे सफलतम योजना है। जिसके जरिए वर्षों से कर्ज के बोझ तले दबे लाखों लघु एवं सीमांत किसानों का औसतन 60 हजार रुपये प्रति किसान का कर्ज माफ किया गया है। इस योजना में सरकार ने 86 लाख किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक करीब 46 लाख किसानों की ही कर्जमाफी हुई है।
ऐसे ही मुख्यमंत्री ने दावा किया कि सरकार ने 57 हजार 578 करोड़ का भुगतान पिछले दो वर्ष में करवाया। यह बकाया 2011-12 से लेकर 2017-18 तक की गन्ना खरीद का था। पिछली सरकार अपने पांच साल में गन्ने के बकाए का इतना भुगतान नहीं करवा पाई थी। लेकिन हकीकत यह है कि भाजपा ने 14 दिन में भुगतान नहीं होने पर ब्याज देने का वादा किया था, लेकिन ब्याज तो दूर, अभी भी प्रदेश में किसानों का करीब 10 हजार करोड़ से ज्यादा का गन्ना मूल्य बकाया है। सरकार ने गेहूं और धान खरीद को पारदर्शी बनाते हुए पिछले कई रिकार्ड तोड़े हैं और सीधे किसानों के खाते में भुगतान की राशि भेजी गई है।
मुख्यमंत्री का दावा है कि दो वर्ष में प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ। 20 मार्च 2017 से 15 मार्च 2019 की अवधि में पुलिस और अपराधियों की बीच 3,539 मुठभेड़ों में 8,135 अपराधी गिरफ्तार किए गए। इनमें 2,746 इनामी अपराधी भी शामिल हैं। इसके अलावा 1,041 अपराधी घायल हुए और 73 मारे गए। वहीं, 13,886 अपराधियों ने स्वयं जमानत निरस्त करा कर आत्म समर्पण कर दिया। इस अभियान में 600 पुलिसकर्मी घायल हुए और पुलिस के पांच बहादुर जवान भी शहीद हुए। जबकि हकीकत यह है कि पुलिस ने कई बार सरकार की किरकिरी कराई। चाहे वह एनकाउंटर हो या अन्य कोई हिंसा। सहारनपुर, मेरठ बुलंदशहर से लेकर कासगंज और लखनऊ सहित कई जिलों में सरकार को शर्मिंदा होना पड़ा। यहां तक कि जेलों में हत्याएं और तमाम ऐशो आराम के वीडियो तक वायरल हुए।
मुख्यमंत्री का दावा है कि पिछले दो साल में हमारी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया है। प्रदेश में 15 नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना कर रही है। प्रदेश के गोरखपुर और रायबरेली में दो एम्स बन रहे हैं, दोनों एम्स में ओपीडी शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी 75 जिलों को पहले चरण में 150, दूसरे चरण में 100 लाइफ सपोर्ट वैन उपलब्ध कराई गई हैं। पहले चरण में ही वैन्स से 78 हजार से अधिक मरीजों की जान बचाई जा चुकी है। आज बड़े जनपद में चार तो छोटे जनपद में तीन लाइफ सपोर्ट वैन तैनात हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण सरकार के प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में रोगियों के परिजनों से मारपीट से लेकर अभद्रता और मनमानी की शिकायतें आम हैं।
प्रदेश का राजस्व बढ़ाने में पाई सफलता
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2016-17 में प्रदेश का राजकोषीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष 4.5 प्रतिशत था। हमारी सरकार के कुशल वित्तीय प्रबन्धन से वर्ष 2017-18 में सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले राज्य का राजकोषीय घाटा 2.97 प्रतिशत रह गया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार में खनन में सालाना राजस्व संग्रह 1,400 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,200 करोड़ रुपये, आबकारी में राजस्व संग्रह 13,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 29,000 करोड़ रुपये तथा मण्डी शुल्क 600 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,800 करोड़ रुपये वार्षिक हो गया है।