कौन है शांतनु ठाकुर, जिन्हें इस बार ममता से ज्यादा मोदी पर है भरोसा
पश्चिम बंगाल में जब विधानसभा चुनाव की शुरूआत हुई थी तो, इसी बीच पीएम मोदी ने बांग्लादेश का दौरा किया था। जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि ये चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। दरअसल, इस दौरे के जरिए पीएम मोदी ने बंगाल की राजनीति में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले मतुआ समुदाय के वोट बैंक को साधने की कोशिश की थी। बांग्लादेश में पीएम मोदी ने मतुआ समुदाय के उन मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचें जिनके अनुयायी बंगाल चुनाव में बड़ी भूमिका निभाते हैं। यहां तक की भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर ने भी दौरे के बाद कहा था कि पीएम मोदी का ओराकांडी जाना मतुआ समुदाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान ही मतुआ समुदाय के प्रमुख ठाकुर परिवार की प्रमुख वीणापाणि देवी (बोरो मां) यानी बड़ी मां के जरिए समुदाय के वोट वैंक को अपने पाले में करना शुरू कर दिया था। इस परिवार का मतुआ समुदाय पर सबसे गहरा प्रभाव है। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने समाजसुधारक माने जाने वाले हरिचंद्र ठाकुर के परिवार के शांतनु ठाकुर को लोकसभा का टिकट दिया और वह जीत दर्ज करने में सफल रहें।
भाजपा के लिए सीएए मास्टरस्ट्रोक
इस समुदाय को साधने के लिए केंद्र द्वारा बनाए गए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) मास्टरस्ट्रोक की तरह काम कर रहा है। भाजपा का दावा है कि यदि वो सत्ता में आती है तो इन समुदायों को नागरिकता दी जाएगी। सीएए के जरिए मतुआ समुदाय में भाजपा ने नजदीकियां बढ़ा ली है और इसमें अहम भूमिका सांसद शांतनु ठाकुर निभा रहे हैं। क्योंकि, इन प्रभाव इस समुदाय पर सबसे ज्यादा है। भाजपा के दावों के बाद अब इस समुदाय के लोगों को नागरिकता का भरोसा बना हुआ है। वहीं, ममता बनर्जी एनआरसी का मुद्दा उठाकर समुदाय को अपने पाले में करने की कोशिश में लगी हुई हैं। ममता का कहना है कि यदि ये लागू हुआ तो उन लोगों को बांग्लादेश वापस जाना होगा। जबकि, भाजपा कह रही है कि सीएए को लागू कर भाजपा शासित सरकार उनको यहां की नागरिकता देगी। इस समुदाय में 99 फीसदी से ज्यादा लोग हिंदू समुदाय से आते हैं, इसलिए भाजपा को समर्थन मिलने की काफी उम्मीदें है।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में मतुआ समुदाय की एक बड़ी आबादी है, जो किसी का भी खेल बना और बिगाड़ सकती है। इस समुदाय की आबादी करीब 2 करोड़ से भी अधिक है। राज्य के नदिया तथा उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले में 40 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर इनकी सबसे मजबूत पकड़ है।
बांग्लादेश दौरा पीएम मोदी की बंगाल चुनाव रणनीति !
जब पीएम मोदी बांग्लादेश दौर पर थे तो वो मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर के ओरकांडी के मंदिर और बरीसाल जिले के सुगंधा शक्तिपीठ के दर्शन किए। जिससे मतुआ समुदाय में पीएम मोदी को लेकर एक सकारात्मक संदेश गया। इसे खुद सांसद शांतनु ठाकुर ने माना था।
ठाकुर परिवार की मतुआ समुदाय पर कितनी पकड़ है इस बात का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि शांतनु ठाकुर को बीजेपी के टिकट पर बनगांव से 1 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई थी। भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर बीनापाणि देवी के छोटे बेटे मंजुल कृष्ण ठाकुर के बेटे हैं। इन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने ही परिवार की ममता बाला ठाकुर को हराया था। ममता बाला ठाकुर बीनापाणि देवी के बड़े बेटे कपिल कृष्ण ठाकुर की पत्नी हैं, जिन्होंने 2015 में हुए उपचुनाव में टीएमसी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता था। भाजपा से पहले इस परिवार का झुकाव टीएमसी की तरफ था।