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03 May 2021

बंगाल के बाद अब बिहार में बिगड़ेगा भाजपा का "खेल"?, लालू और नीतीश के साथी क्या कर हैं प्लान

File Photo

पश्चिम बंगाल की राजनीतिक गलियारों में बीते कई महीनों से चल रहा खेला आखिरकार दो मई को हुए मतगणना के साथ थम गया। इसमें भाजपा का खेला तृणमूल कांग्रेस ने बिगाड़ दिया और एतिहासिक जीत दर्ज कर तीसरी बार राज्य की सत्ता में काबिज हुई। इस चुनाव में भाजपा को 77 सीटें और टीएमसी को बहुमत के पार 213 सीटें मिली। वहीं, पहली बार बंगाल के इतिहास में लेफ्ट का पूरा सफाया हो गया। एक भी सीट नहीं मिली। हालांकि, मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव हार गईं। लेकिन, बंगाल में भारी जीत के बाद टीएमसी और भाजपा विरोधी दलों के हौसले बुलंद हो गए हैं। हर कोई जीत के बाद टीएमसी को बधाई देने में लगा हुआ है। इसमें से एक बधाई जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से आया, जिसने बिहार की राजनीति में खलबली मचा दी और भविष्य की ओर इंगित कर दिया। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का कुछ महीने पहले ही जेडीयू में विलय किया गया है। उपेंद्र कुशवाहा ने जिस तरह से सोशल मीडिया के जरिए बधाई दी और लिखा, उसने राजनीतिक पंडितों को कुछ और होने की तरफ इशारा कर दिया है। कुशवाहा ने बंगाल में टीएमसी की जीत के बाद अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से लिखा, "भारी चक्रव्यूह को तोड़कर प.बंगाल में फिर से शानदार जीत के लिए ममता जी को बहुत-बहुत बधाई।"

दरअसल, भाजाप ने जिस तरीके से अपना पूरा दांव बंगाल चुनाव में लगा दिया था। सीएए-एनआरसी से लेकर जय श्री राम और हिंदू कार्ड तक खेल दिया था। उससे निकलकर ममता के लिए इतनी बड़ी जीत दर्ज करना आसान नहीं था। अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा का बंगाल में खेल बिगड़ने के बाद अब बिहार में भी ऐसा कुछ हो सकता है। क्योंकि, बीते महीने आउटलुक से बातचीत में आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा था कि बंगाल चुनाव के बाद बिहार में भी बड़ा खेला होने वाला है। उन्होंने दावा किया था कि जेडीयू के कई असंतुष्ट विधायक उनके संपर्क में है और वो पार्टी से नाखुश हैं। उपेंद्र कुशवाहा और तिवारी द्वारा कही गई बातों को एक साथ मिलाकर देखें तो ये आगामी कुछ महीनों में बिहार की राजनीति में फेरबदल के संकेत दे रहे हैं। अब एक बार फिर से बिहार की राजनीति में लालू यादव की एंट्री हो गई हैं। बीते दिनों उन्हें रांची जेल से जमानत पर रिहा कर दिया गया है। लालू तोड़-जोड़ की राजनीति में माहिर माने जाते रहे हैं। इसके बाद बिहार की राजनीति में एक नया समीकरण भी बनने के आसार दिखाई दे रहे हैं।

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नवंबर महीने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में फिर से सरकार बनने के बाद से ही लगातार एनडीए के भीतर खींचातानी देखने को मिलते रहे हैं। सबसे पहले अरूणाचल प्रदेश जेडीयू इकाई  के छह विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। उसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी का ठिकरा सीएम नीतीश ने भाजपा पर फोड़ा था। वहीं, उन्होंने यहां तक कह दिया था कि उन्हें पद का कोई लोभ नहीं था। कई मोर्चों पर नीतीश और भाजपा के बीच रस्साकशी देखने को मिला है। यहां तक की जेडीयू में रालोसपा का विलय भी नीतीश ने अपने वोट बैंक समीकरण को ध्यान में रखते हुए हीं किया है। क्योंकि, इस चुनाव में नीतीश को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। अब नीतीश अपनी पार्टी को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। जबकि भाजपा पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन को बिहार की राजनीति में एंट्री कराकर और नीतीश-सुशील मोदी की जोड़ी को तोड़कर अब अपना कुनबा मजबूत करने में जुट गई है। 

बीते महीने आउटलुक से बातचीत में जेडीयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने ये दावा किया था कि आगामी विधानसभा चुनाव भी पार्टी नीतीश के चेहरे के तौर पर लड़ेगी। इससे इतर देखें तो बीजेपी दो उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के साथ अब आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपना कोई चेहरा पेश कर सकती है। नीतीश के पाला बदलने और आरजेडी में शामिल होेने को लेकर भी बीते दिनों आउटलुक से आरजेडी प्रवक्ता तिवारी ने कहा था कि यदि नीतीश ऐसा कुछ ऐलान करते हैं तो पार्टी विचार करेगी।

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TAGS: West Bengal Election, Bihar Politics, Upendra Kushwaha, Nitish Kumar, JDU, RJD, Tejaswi Yadav, TMC, Mamata Banerjee
OUTLOOK 03 May, 2021
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