कौन हैं मनोज मंज़िल, जिनके 'स्कूल पर सड़क आंदोलन' से खुल रही नीतीश सरकार की पोल!, शिक्षा-व्यवस्था पर उठ रहे कई सवाल
सीपीआई-एमएल से विधायक मनोज मंज़िल हैं, जिनके "स्कूल-पर-सड़क आंदोलन" से लगातार नीतीश सरकार की पोल खुल रही है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भोजपुर के अगियांव विधानसभा क्षेत्र से मनोज मंजिल विधायक बने हैं और पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं। बिहार की शिक्षा-व्यवस्था पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। परीक्षा में धांधली, चोरी से लेकर पढ़ाई और शिक्षकों की योग्यता पर सवालिया निशान लगते रहे हैं। लेकिन, अब एमएलए मनोज मंज़िल के आंदोलन ने नीतीश सरकार की नीति पर भी सवाल उठा दिए हैं।
दरअसल, बिहार में कोइलवर पुल के पास तारामणि भगवान साव +2 विद्यालय स्थित है, जो अब था में तब्दील हो चुका है। इस विद्यालय को तोड़कर पटना-बक्सर फोरलेन बनाया जा रहा है। मामला 2019, जनवरी का है जब इस विद्यालय को ढहा दिया गया था। इस विद्यालय में फिलहाल करीब 1600 बच्चे पढ़ रहे हैं।
आउटलुक से बातचीत में भाकपा-माले विधायक मनोज मंज़िल कहते हैं, "वैकल्पिक व्यवस्था किए बगैर इस ऐतिहासिक स्कूल को ढहा दिया गया। पढ़ रहे 1600 से अधिक छात्र-छात्राओं के अधिकारों को छीन लिया गया। बताया गया कि इसे बगल के माध्यमिक विद्यालय के साथ जोड़ दिया गया है। लेकिन, जिस विद्यालय के पास खुद सीमित संसाधन और जगह है वो इतने बच्चों को कहां पढ़ाएंगे। क्या इनके लिए रात्रि में कक्षाएं चलेंगी। दो साल इंतजार बाद भी स्कूल का कोई अता-पता नहीं है।"
जिस तरह से बिहार की शिक्षा-व्यावस्था पर वर्षों से सवाल उठते रहे हैं। अब एमएलए मनोज मंज़िल के आंदोलन ने इसे और गति दे दी है। वो कहते हैं, "इस 'सड़क-पर-स्कूल आंदोलन' के जरिए अब तक 12 विद्यालयों के लिए मुहीम चला चुका हूं। अभी लड़ाई लंबी है। बिहार के हर विद्यालयों की यही स्थिति है। कहीं शिक्षक हैं तो संसाधन और कमरे नहीं। हालात बदतर है। सैंकड़ों विद्यालय बिना भवन के चल रहे हैं।"
दरअसल, मनोज मंज़िल जिस तरह से छात्रों और आम जनता के बीच नजर आते हैं, वो तस्वीरें असाधारण दिखाई देता है, जिस दौर में नेता वीवीआईपी कल्चर से बाज नहीं आ रहे हैं। स्कूल आंदोलन के साथ ही अस्पतालों के लिए लगातार मनोज मंज़िल सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। वो बताते हैं, "अभी एक अस्पताल के लिए हमलोग सड़क पर आंदोलन करने वाले थे। लेकिन, अलटिमेटम के बाद फिर से बने अस्पताल सुचारू रूप से चालू कर दिया गया है। सही मायने में, बिहार की ये सभी बदहाली के उदाहरण हैं। सड़क स्कूल-कॉलेज, अस्पताल जाने के लिए बनता है या इसे तोड़ कर सड़कों का निर्माण होगा। विवेकहीन निर्णय से युवाओं का भविष्य दांव पर है। क्या कोइलवर स्कूल को तोड़े बिना सौ मीटर दाएं-बाएं से सड़क नहीं निकाला जा सकता था। सपनों को ध्वस्त कर विकास की खोखली इमारतें खड़ी की जा रही है।"