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08 July 2021

मोदी ने भी दिया चिराग को धोखा?, मना करने के बावजूद पारस को मंत्री बनाने से किसका फायदा; पूरा खेल ऐसे समझिए

विस्तार किए गए मोदी मंत्रिमंडल में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता और सांसद चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस को भी जगह मिली है। उन्हें केंद्र सरकार में खाद्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय रामविलास पासवान के जिम्मे था। लेकिन, सांसद चिराग पासवान इस पर सवाल उठाते हुए अब हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने पीएम मोदी द्वारा लिए गए फैसले को चुनौती दी है। दरअसल, खींचातानी इस बात की है कि पारस लोजपा के सदस्य हैं या नहीं। क्योंकि जब बीते महीने पार्टी के भीतर कलह की बुलबुलाहट निकलने शुरू हुए थे तब पारस गुटों ने चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया था।जिसके बाद चिराग ने कार्यकारिणी की बैठक करते हुए चाचा समेत सभी पांचों सांसदों को पार्टी के निष्कासित कर दिया था।

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यानी चिराग द्वारा पीएम मोदी को धमकी भरे लहजे में ये कहना कि,  "मैंने पीएम को इससे अवगत करा दिया है। पारस का मंत्री बनना संभव नहीं है। यदि वो फिर भी ऐसा करते हैं तो मैं कोर्ट जाऊंगा।" लेकिन, फिर भी पारस मंत्री बन चुके हैं। और इधर चिराग अपने पिता के जन्मदिन पर शुरू किए गए आशीर्वाद यात्रा के रथ को बिहार के जिले-जिले ले जा रहे हैं। तो क्या पीएम मोदी ने भी चिराग पासवान को धोखा दे दिया है? क्या इस पूरे खेल के पीेछे भाजपा का हाथ है?

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आउटलुक से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार और बिहार की राजनीति को दशकों से समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक मणिकांत ठाकुर कहते हैं, “केंद्र इस बात को बखुबी समझती है कि फैसला किसके पक्ष में जाएगा। जो भी संवैधानिक संस्थान है वो शायद इसके खिलाफ नहीं ही जाएगी। ये पूरा खेल बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही शुरू हो गया था। जिस मकसद से चिराग ने भाजपा की मदद की वो पूरा नहीं हुआ और इसमें भाजपा की भी मजबूरी है। क्योंकि, चिराग से साथ भाजपा सरकार नहीं बना सकती थी।“

दरअसल, नीतीश के कद को छोटा करने के लिए लोजपा के बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के फैसले के पीछे भाजपा की रणनीति थी। चिराग ने बिहार एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को भारी नुकसान पहुंचाया। मणिकांत ठाकुर कहते हैं, "नीतीश भी खेल को समझते हुए पहले ही सबके सामने भाजपा से कबूल करवा चुके थे कि सीट कम मिले या ज्यादा, मुख्यमंत्री वहीं बनेंगे।" इस बार मोदी मंत्रिमंडल में जेडीयू से एक, पार्टी अध्यक्ष आरपीसी सिंह को मंत्री बनाया गया है। ठाकुर कहते हैं, "नीतीश की इसमें भी चाल है। वो सीधे तौर पर कहेंगे कि जब तक मैं अध्यक्ष था इसे स्वीकार नहीं किया।" 2019 में भी उन्हें इसका ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। चिराग पार्टी के भीतर पनपे कलह के पीछे नीतीश का ही हाथ मानते हैं।

चिराग की इस डुबती लोजपा के बाद कई तरह की बातें कही जा रही है। सवाल उठ रहे हैं कि अब पासवान का क्या होगा। इधर राजद नेता और महागठबंधन के चेहरे तेजस्वी यादव भी उन्हें अपने पाले में करने में लगे हुए हैं। हालांकि, अब तक चिराग की तरफ से इस पर कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं। वहीं, पारस को लेकर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सिर्फ मंत्री पद से लिए उन्होंने उठापटक की। वो कहते हैं, "नीतीश के साथ साठगांठ करने के पीछे पारस की यही मंशा थी। लेकिन, ये ज्यादा सालों तक चलने वाला नहीं है। वहीं, तेजस्वी के साथ जाने की गलती शायद चिराग नहीं करेंगे। क्योंकि, आने वाले समय में चिराग पासवान बिहार की राजनीति में एक विकल्प के तौर पर उभर सकते हैं। रास्ता खुला हुआ है।"

भाजपा भले ही बिहार में अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी हो लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। चिराग को लेकर पीएम मोदी की एक धर्म-संकट वाली स्थिति बनी हुई है। मणिकांत ठाकुर कहते हैं, "यदि  चिराग भाजपा का साथ अभी छोड़ देते हैं फिर भी उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। ये स्पष्ट है कि चिराग इस वक्त अपने संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। सिर्फ मंत्री पद या सत्ता में बने ना रहने की लालसा के पीछे पासवान का यही गणित है। हो सकता है भाजपा ये सोच रही होगी कि आगामी चुनावों तक चिराग लोजपा को राज्य की राजनीति में मजबूत गति देते हैं तो इससे दोनों को फायदा हो सकता है और फिर पारस को 'दूध में पड़ी मक्खी' की तरह भाजपा निकाल फेंक सकती है।"

 

 

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TAGS: PM Modi, Pashupati Kumar Paras, Chirag Paswan, नीरज झा, Neeraj Jha, पशुपति कुमार पारस, कैबिनेट मंत्री, पीएम मोदी, नीतीश कुमार, मणिकांत ठाकुर बीबीसी, Manikant Thakur
OUTLOOK 08 July, 2021
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