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24 December 2024

बदायूं: जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा, 18 जनवरी को सुनवाई

बदायूं की एक अदालत ने शम्सी जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ मंदिर मामले की सुनवाई के लिए 18 जनवरी की तारीख तय की है, जिसमें यह तय होगा कि मामला सुनवाई योग्य है या नहीं।

एक अधिवक्ता ने मंगलवार को बताया कि नीलकंठ मंदिर बनाम जामा मस्जिद शमसी मामले में दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार ने अगली सुनवाई के लिए 18 जनवरी, 2025 की तारीख तय की है। उस दिन अदालत तय करेगी कि मामला सुनवाई योग्य है या नहीं।

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता वेद प्रकाश साहू ने बताया कि आज 24 दिसंबर को अदालत को यह तय करना था कि यह मामला बहस के योग्य है अथवा नहीं। इसको लेकर 17 दिसंबर को दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं द्वारा अपना-अपना पक्ष रखा गया था, जिसके लिए दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार ने आज की तारीख तय की थी।

उन्होंने बताया कि आज जिला बार एसोसिएशन के चुनाव के चलते अदालत ने कोई निर्णय नहीं सुनाया है और अपना निर्णय सुनाने के लिए 24 जनवरी की तारीख तय की है। अब 24 जनवरी को यह तय होगा कि यह मामला सुनने योग्य है अथवा नहीं।
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इसके पहले नीलकंठ महादेव मंदिर के वादी मुकेश पटेल ने बताया था कि यह राजा महिपाल का किला था और यहां एक मंदिर था जिसे गुलाम वंश के शासक एवं आक्रमणकारी शमसुद्दीन इल्तुतमिश ने तोड़कर मस्जिद में तब्दील करवा दिया था।

मामला 2022 में शुरू हुआ था, जब अखिल भारत हिंदू महासभा के तत्कालीन संयोजक मुकेश पटेल ने दावा किया था कि जामा मस्जिद की जगह पर नीलकंठ महादेव का मंदिर था। यह मस्जिद सोथा मोहल्ला नामक एक ऊंचे क्षेत्र में बनी है।

शम्सी शाही मस्जिद को बदायूं शहर की सबसे ऊंची इमारत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मस्जिद देश की तीसरी सबसे पुरानी और सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद है, जिसमें 23,500 लोगों के एक साथ नमाज अदा करने की जगह है।

 

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TAGS: Badaun, Badaun mosque controversy, Jama Masjid, Shamsi Jama Masjid vs Neelkanth Temple
OUTLOOK 24 December, 2024
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