बिहार: जमीन के बदले नौकरी मामले में कार्रवाई पर गरमाई सियासत, जदयू ने कहा- एजेंसियों का ऐसा दुरुपयोग कभी नहीं हुआ
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा सोमवार को नौकरी घोटाला मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद और राबड़ी देवी समेत 14 अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने के बाद से ही प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हुआ।
इस पर जेडी(यू) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा, "विपक्षी दलों की एकता को ध्यान में रखते हुए (चार्जशीट दाखिल करने का) समय तय किया गया है। पहले कभी ऐसा नहीं था कि इन जांच एजेंसियों का इस तरह दुरुपयोग हुआ हो।" वहीं, भाजपा के अजय आलोक ने कहा, "कुछ दिन पहले तक छाती पीट कर कह रहे थे कि चार्जशीट क्यों नहीं फाइल किया, अब फाइल हो गया तो कह रहे हैं मोदी जी ने फंसा दिया, भाजपा ने फंसा दिया।"
उन्होंने कहा, "जब बोया पेड़ बबूल का, तो आम कहां से पाओ। अगले 10-15 दिनों में नीतीश कुमार बिहार के सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे। 13 तारीख को जब उन्हें कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा तो सीबीआई उनकी रिमांड मांगेगी और अगर उन्हें उनकी कस्टडी मिल जाती है तो हो गया। भ्रष्टाचार की गारंटी इनकी है तो कार्रवाई की गारंटी मोदी जी की है।"
भाजपा नेता शहज़ाद पूनावाला ने कहा, "यह रिवर्स रॉबिनहुड है। रॉबिनहुड अमीरों को लूटता था और गरीबों की मदद करता था। लेकिन इसके उलट रॉबिनहुड में, भ्रष्टाचार का पहला परिवार गरीबों को लूटता है, उनकी जमीनें हासिल करता है और अपनी जेबें भरता है - 600 करोड़ रुपये का घोटाला करता है...''
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन (ललन) सिंह कहते हैं, ''...हमें पता था कि ऐसा होगा...यह तब शुरू हुआ जब अगस्त 2022 में फिर से महागठबंधन बना और हम इसका हिस्सा बने...आश्चर्य की बात है कि पांच दिन पहले पीएम ने कहा था कि एनसीपी नेता 70,000 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल हैं।"
उन्होंने कहा, "अब, वे (महाराष्ट्र में) भाजपा मंत्रिमंडल में शामिल हो रहे हैं और जब तेजस्वी यादव महागठबंधन में शामिल हो रहे हैं, तो उस मामले में आरोप पत्र दायर किया जा रहा है, जिसकी दो बार सीबीआई जांच हुई और खारिज कर दिया गया। सभी जानते हैं कि केंद्र क्या कर रहा है। जनता सब देख रही है..."
अधिकारियों के मुताबिक, मामले में पहली चार्जशीट दाखिल होने के बाद सामने आए दस्तावेजों और सबूतों के आधार पर दायर की गई यह चार्जशीट है। विशेष सीबीआई अदालत में दायर आरोप पत्र में यादव परिवार के अलावा, सीबीआई ने एके इंफोसिस्टम्स और कई बिचौलियों का भी नाम लिया है। आरोप है कि 2004 से 2009 तक यूपीए सरकार में मंत्री रहे लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करके रेलवे में पसंदीदा उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया था।