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24 September 2021

ओबीसी जनगणना को मोदी सरकार ने बताया कठिन कार्य, नीतीश का दबाव भी नहीं आया काम, अब क्या होगा अगला कदम

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’’ है और जनगणना के दायरे से इस प्रकार की सूचना को अलग करना ‘‘सतर्क नीति निर्णय’’ है।

केंद्र का रूख इसलिए अहम है क्योंकि हाल में बिहार से दस दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की थी। ऐसे में अब इन दलों द्वारा क्या कदम उठाया जाता है यह देखना दिलचस्प होगा।


सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे के अनुसार, सरकार ने कहा है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी), 2011 में काफी गलतियां एवं अशुद्धियां हैं।

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महाराष्ट्र की एक याचिका के उत्तर में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया। महाराष्ट्र सरकार ने याचिका दायर कर केंद्र एवं अन्य संबंधित प्राधिकरणों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित एसईसीसी 2011 के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग की और कहा कि बार-बार आग्रह के बाद भी उसे यह उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र ने पिछले वर्ष जनवरी में एक अधिसूचना जारी कर जनगणना 2021 के लिए जुटाई जाने वाली सूचनाओं का ब्यौरा तय किया था और इसमें अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति से जुड़े सूचनाओं सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया मगर इसमें जाति के किसी अन्य श्रेणी का जिक्र नहीं किया गया है।

सरकार ने कहा कि एसईसीसी 2011 सर्वेक्षण ‘ओबीसी सर्वेक्षण’ नहीं है जैसा कि आरोप लगाया जाता है, बल्कि यह देश में सभी घरों में जातीय स्थिति का पता लगाने की व्यापक प्रक्रिया थी।

यह मामला गुरुवार को न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, जिसने इस पर सुनवाई की अगली तारीख 26 अक्टूबर तय की।

 

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TAGS: जाति आधारित जनगणना, ओबीसी, मोदी सरकार, नीतीश कुमार, सुप्रीम कोर्ट, Caste Census of backward classes, Modi Government, Supreme Court, Nitish kumar
OUTLOOK 24 September, 2021
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