सीएम योगी का अखिलेश यादव पर निशाना, बताया क्या है 'पीडीए' का असली मतलब
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी (सपा) के 'पीडीए' (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) के नारे पर सवाल उठाते हुए बुधवार को कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल रहे पिछड़े वर्गों के बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के दिवंगत होने पर श्रद्धांजलि नहीं दी मगर दुर्दांत माफिया मुख्तार अंसारी के मरने पर मातम मनाया और यही पीडीए का वास्तविक चरित्र है. मुख्यमंत्री ने कल्याण सिंह की तीसरी पुण्यतिथि पर यहां आयोजित 'हिन्दू गौरव दिवस' कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधा. आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘सपा के मुखिया (अखिलेश यादव) बाबूजी (कल्याण सिंह) के दिवंगत होने पर उन्हें श्रद्धांजलि देने नहीं गये मगर सैकड़ों हिन्दुओं के खून से जिसके हाथ रंगे हुए थे, ऐसे दुर्दांत माफिया (मुख्तार अंसारी) की मजार पर फातिहा पढ़ने चले गये. क्या यही पीडीए है? यही पीडीए का वास्तविक चरित्र है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इनका चरित्र देखना है तो अयोध्या और कन्नौज में बालिकाओं के साथ जो घटनाएं हुई, उन्हें देखिये. वही इनका चरित्र है. जब तक हम इनका एकजुट होकर मुकाबला नहीं करेंगे तब तक ये प्रदेश की जनता को ऐसे ही बेवकूफ बनाते रहेंगे. ये उन्हें ऐसे ही छलते रहेंगे.’’ पीडीए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा पिछले लोकसभा चुनाव से पहले दिया गया नारा है. इसके तहत पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को एकजुट करने का आह्वान किया गया था. सपा और उसकी सहयोगी कांग्रेस ने गत लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका देते हुए उत्तर प्रदेश की 80 में से 43 सीट हासिल की थीं. आदित्यनाथ ने हिन्दुओं के एकजुट होने की जरूरत बताते हुए कहा, ‘‘हमें हिन्दू एकता के महत्व को समझना होगा. हिन्दू कोई जाति, मत या मजहब नहीं है. यह भारत की सुरक्षा, एकता और अखंडता की गारंटी है. जब तक सनातन अटूट है तब तक भारत अखंड है. जिस दिन यह बिखरा तो देश को तिनका-तिनका करके बिखेर दिया जाएगा. हमें यह कतई नहीं होने देना है.’’
उन्होंने किसी का नाम लिये बगैर कहा, ‘‘आपको बांटने की कोशिश करने वालों का चरित्र और चेहरा अलग है. जब भी उन्हें मौका मिला तब उन्होंने सनातन को नुकसान पहुंचाया.’’ राम जन्म भूमि आंदोलन में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के योगदान को याद करते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि सिंह ने उस समय की ताकतों से विपरीत परिस्थितियों में मुकाबला किया, मगर वह रामजन्मभूमि आंदोलन से कभी पीछे नहीं हटे. उन्होंने कहा कि आज राम मंदिर के रूप में उसकी सुखद अनुभूति पूरी दुनिया में सनातन धर्मावलम्बी कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘छह दिसंबर 1992 का समय आया. केन्द्र सरकार का दबाव था कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलायी जाए. उस समय के मुख्यमंत्री बाबूजी (कल्याण सिंह) ने कहा कि हम ऐसा नहीं करेंगे, आप चाहें तो हमारी सरकार को बर्खास्त ही क्यों न कर दें. फिर सिंह ने कहा कि हमारा संकल्प पूरा हुआ, मैं अपने पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं. उन्होंने मुख्यमंत्री पद ठुकराकर संघर्ष का रास्ता अपनाया.’’
आदित्यनाथ ने कहा कि कल्याण सिंह ने कभी जातिवाद को प्रश्रय नहीं दिया, समाज को विभाजित करने वाली ताकतों से हमेशा दूरी बनाये रखी. मुख्यमंत्री ने कल्याण सिंह के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने मूल्यों को जिया. राजनीति उनके लिये सत्ता प्राप्त करने, सौदेबाजी और स्वार्थपूर्ति का जरिया नहीं थी. किसी भी पद पर उन्होंने मूल्यों और आदर्शों के साथ कोई समझौता नहीं किया. इसीलिये वह कोटि-कोटि कार्यकर्ताओं के विश्वास के प्रतीक बन पाये.’’ उन्होंने कहा, ''जब अयोध्या में रामभक्तों पर गोलियां चलायी गयी थीं, उस वक्त की सरकार हिन्दुओं को आपस में बांट रही थी और रामभक्तों पर गोलियां चला रही थी. अगर कोई उससे टकराया था तो वह व्यक्तित्व कल्याण सिंह जी का था. उन्होंने कहा था कि हम जातीयता का जहर घोलकर भारत के सामाजिक तानेबाने को छिन्न भिन्न करने के प्रयासों को कभी सफल नहीं होने देंगे.''