तीन दशक से बिहार की सत्ता सिर्फ ‘1200 से 1300 परिवारों’ के बीच रही है केंद्रित: प्रशांत किशोर
पूर्व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने रविवार को कहा कि ‘‘जड़ता’’ की स्थिति ने बिहार की राजनीति को बर्बाद कर दिया है जहां पर बीते तीन दशक से सत्ता सिर्फ ‘‘1200 से 1300 परिवारों’’ के बीच केंद्रित रही है।
उन्होंने वैशाली जिला मुख्यालय में जनसंपर्क अभियान की शुरुआत के तहत यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए यह दावा किया। बता दें कि किशोर ने बहुचर्चित 3500 किलोमीटर लंबी ‘‘पदयात्रा’’की तैयारी के तहत जनसंपर्क अभियान की शुरुआत की। उनकी योजना गांधी जयंती के दिन पदयात्रा शुरू करने की है।
प्रशांत किशोर ने कहा, ‘‘साल 1960 तक बिहार बेहतरीन शासित राज्यों में से एक था। 1960 के दशक में स्थिति बिगड़नी शुरू हुई और 1990 के दशक में विकास के सभी मानकों पर यह निचले स्तर पर पहुंच गया। इस दौरान एक विशेषता रही राजनीतिक अस्थिरता। बिहार ने 23 साल की इस अवधि (वर्ष 1967 से 1990 के बीच) में 20 से ज्यादा सरकारों को देखा।’’
किशोर ने कहा, ‘‘मैंने बिहार को केवल इसलिए नहीं चुना क्योंकि यह मेरा गृह राज्य है...इसका पहला कारण यह है कि मैं सत्ता का केंद्रीकरण ऐसे स्तर पर देखता हूं जिसकी कुछ समानताएं हैं। पिछले 30 साल में सभी सांसद और विधायक केवल 1200 से 1300 राजनीतिक परिवारों से आए, भले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई भी हो। कल्पना कीजिए यह उस राज्य की स्थिति है जहां पर तीन करोड़ परिवार हैं।’’
उन्होंने इसके लिए राजनीतिक ‘‘जड़ता’’ को जिम्मेदार ठहराया। किशोर ने कहा कि साल 1970 से ही यह स्थिति है और आम लोगों को प्रेरित करने के लिए कोई सामाजिक और राजनीति आंदोलन नहीं है।
उन्होंने कहा, "अगर मैंने किसी से प्रेरणा ली है, तो वह गांधी और उनके समय की कांग्रेस से है, जब पार्टी पर एक परिवार या एक मंडली का नियंत्रण नहीं था और जिसके पेट में आग थी, वह शामिल होने और आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र था। "