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16 December 2024

‘एक परिवार के हित’ में संविधान संशोधन करती रही कांग्रेस की सरकारें: सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर शाह बानो प्रकरण और आपातकाल से जुड़े विभिन्न संविधान संशोधनों का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर ‘एक परिवार के हित’ में संविधान में संशोधन करते रहने का आरोप लगाया।

‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए सीतारमण ने कहा कि इन संविधान संशोधनों के दौरान कांग्रेस की तत्कालीन सरकारों ने ना तो प्रक्रिया का पालन किया और ना ही संविधान की भावना का कोई सम्मान किया।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने का रिकॉर्ड है।

उन्होंने कहा, ‘‘मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जेल में डाल दिया गया था। 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित बैठकों में से एक में मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता सुनाई थी जो जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ थी। और इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा।’’
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सीतारमण ने कहा कि सुल्तानपुरी ने माफी मांगने से इनकार कर दिया था और उन्हें जेल भेज दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड यहीं तक सीमित नहीं था। वर्ष 1975 में माइकल एडवर्ड्स ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू पर एक राजनीतिक जीवनी लिखी थी। इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने ‘किस्सा कुर्सी का’ नामक एक फिल्म को भी सिर्फ इसलिए प्रतिबंधित कर दिया क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, उनके बेटे और तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री पर सवाल उठाया गया था।’’

सीतारमण ने कहा कि 1950 में उच्चतम न्यायालय की ओर से वामपंथी पत्रिका ‘क्रॉस रोड्स’ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ के पक्ष में सुनाए गए एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इसके जवाब में तत्कालीन अंतरिम सरकार संविधान संशोधन किया जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘कई उच्च न्यायालयों ने भी हमारे नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखा, लेकिन अंतरिम सरकार ने जवाब में सोचा कि पहले संशोधन की आवश्यकता है। यह कांग्रेस द्वारा लाया गया था।’’

उन्होंने इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण मामले से संबंधित संवैधानिक संशोधनों का भी उल्लेख किया और कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, ‘‘ये संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों के हित में लाए गए थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कल्पना कीजिए कि किसी व्यक्ति के लिए अपनी कुर्सी बचाने के लिए, अदालत के फैसले से पहले ही एक संशोधन किया गया था।’’

शाह बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के 1986 के एक फैसले का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने इसे पलटते हुए मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता के अधिकार से वंचित कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पार्टी ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया जबकि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने संविधान संशोधन करके मुस्लिम महिलाओं को अधिकारों से वंचित किया।’’

इससे पहले, वित्त मंत्री ने 15 महिलाओं सहित संविधान सभा के 389 सदस्यों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने बहुत ही चुनौतीपूर्ण माहौल में भारत का संविधान तैयार किया था।

सीतारमण ने कहा कि भारत का संविधान ‘‘समय की कसौटी पर खरा उतरा है। आज हम भारत के लोकतंत्र के विकास पर बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं।’’

 

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TAGS: Rahul Gandhi, Congress, BJP, Nirmala Sitharaman, Narendra Modi, Indian constitution
OUTLOOK 16 December, 2024
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