कांग्रेस फिर सत्ता में आएगी, मैं और पांच वर्ष तक मुख्यमंत्री रहूंगा: सिद्धरमैया
विपक्ष के नेता आर अशोक ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार गलत मिसाल कायम कर रही है और अगली सरकार के लिए यह और भी चुनौतीपूर्ण होगा। मुख्यमंत्री ने उनकी दलील तत्काल खारिज कर दी।
सिद्धरमैया ने विपक्ष को याद दिलाया कि वे हाल ही में चन्नपटना, शिगगांव और संदूर में विधानसभा उपचुनाव हार गए थे।
उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘आप लोगों ने विधानसभा चुनाव से पहले हमें चुनौती दी थी कि क्या हममें हिम्मत और ताकत है? आपने अपनी चुनौती का हश्र देखा। हम फिर से सत्ता में लौटेंगे और मैं वहां (अगले मुख्यमंत्री के रूप में) रहूंगा।’’ मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का यह जवाब उनके और राज्य के उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के बीच सत्ता को लेकर खींचतान के बीच आया है।
विपक्ष गारंटी क्रियान्वयन समितियों के अध्यक्ष और सदस्यों के रूप में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नियुक्ति से नाराज है और उसका कहना है कि इन समिति सदस्यों की जिला प्रशासन में विधायकों और एमएलसी से भी अधिक पकड़ है।
पांच गारंटी योजनाएं हैं - 'गृह ज्योति' जिसके तहत प्रत्येक परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी, 'गृह लक्ष्मी' योजना जिसके तहत प्रत्येक परिवार की महिला मुखिया को 2,000 रुपये दिए जाएंगे तथा 'अन्न भाग्य' जिसके तहत बीपीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को प्रति माह 10 किलोग्राम चावल दिया जाएगा।
'युवा निधि' योजना के तहत बेरोजगार स्नातकों को 3,000 रुपये और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों को दो वर्ष के लिए 1,500 रुपये (18-25 आयु वर्ग में) देने का वादा किया गया है, तथा 'शक्ति' योजना के तहत कर्नाटक की महिलाओं को राज्य के भीतर सरकारी गैर-लक्जरी बसों में मुफ्त यात्रा की अनुमति दी गई है।
कांग्रेस सरकार ने सभी जिलों में गारंटी क्रियान्वयन समिति का गठन किया है और क्रियान्वयन की निगरानी के लिए पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया है, जिस पर भाजपा ने आरोप लगाया कि यह सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा विधायकों के विशेषाधिकार का उल्लंघन है और कर्नाटक विधानसभा में दूसरे दिन भी अपना आंदोलन जारी रखा।
भाजपा ने बुधवार को राज्यपाल थावरचंद गहलोत को एक ज्ञापन सौंपकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं की अध्यक्षता में सरकार की पांच गारंटी योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए गठित राज्य, जिला और तालुका-स्तरीय समितियों को रद्द करने का अनुरोध किया, उन्हें "असंवैधानिक" बताया।
दोपहर के भोजन के बाद विधानसभा में हंगामा जारी रहने पर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि विधायकों के अधिकारों में कटौती नहीं की जाएगी और उनके विशेषाधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
सिद्धरमैया ने कहा, "हम भी विधायकों और एमएलसी का उतना ही सम्मान करते हैं जितना आप करते हैं, क्योंकि मैं भी एक विधायक हूं। इसलिए मैं कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जो अपमानजनक हो।"
उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को अवसर देने और शासन में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की परंपरा शुरू से ही रही है, जो नयी बात नहीं है, क्योंकि भाजपा ने भी सत्ता में रहते हुए ऐसा ही किया था।
सिद्धरमैया ने प्रदर्शनकारी भाजपा विधायकों से कहा, "क्या यह सत्ता का दुरुपयोग नहीं है, जब पार्टी कार्यकर्ताओं को बोर्ड और निगमों का अध्यक्ष बनाया जाता है? उन्हें कौन वेतन देता है? महाराष्ट्र में आपने आरएसएस कार्यकर्ताओं को सभी मंत्रियों का निजी सहायक बना दिया है।’’
इसके बाद भाजपा विधायकों ने नारेबाजी की, जिससे सदन की कार्यवाही और अधिक अव्यवस्थित हो गई। मुख्यमंत्री ने कहा, "हम क्रियान्वयन समिति में बदलाव नहीं करेंगे, लेकिन हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे, जिससे विधायक/एमएलसी का अपमान हो।’’
उन्होंने प्रदर्शनकारी विधायकों से यह भी कहा कि वे जिले के उपायुक्तों और पंचायतों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से कहेंगे कि वे विधायकों और एमएलसी को प्राथमिकता दें।
भाजपा विधायक सुनील कुमार ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री का बयान उनके आदेशों से अलग है।
भाजपा नेता आर अशोक ने बताया कि शिवमोगा जिले के प्रभारी मंत्री मधु बंगरप्पा ने हाल ही में जिले के डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखकर कहा है कि जो भी 'विकास समिति का अध्यक्ष' है, उसके निर्देशों का पालन सभी स्कूलों और कॉलेजों में किया जाना चाहिए।
अशोक ने आरोप लगाया, "ऐसे आदेशों का क्या औचित्य है? क्या यह विधायक/एमएलसी के विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं है? यह उल्लंघन है, जो अब से हर रोज होगा।"
हस्तक्षेप करते हुए विधानसभाध्यक्ष यू टी खादर ने कहा कि सिद्धरमैया ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह जिला प्रशासन को निर्देश देंगे कि वह ऐसा कुछ न करें जिससे विधायकों/एमएलसी का अपमान हो।
खादर ने कहा, "आपने समिति के समक्ष पेश की गई कुछ व्यावहारिक समस्याओं को सामने रखा है। सत्र के बाद मुख्यमंत्री से चर्चा करें और उन्हें अपनी समस्याएं बताएं। वह उन्हें हल करने का प्रयास करेंगे।’’
सिद्धरमैया ने विपक्षी विधायकों से वादा किया कि वह बुधवार को सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद बैठक बुलाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा, "अगर आपकी समस्याएं वास्तविक हैं तो मैं उन्हें हल करने की कोशिश करूंगा, लेकिन अगर आप कहते हैं कि कार्यकर्ताओं को गारंटी समिति का अध्यक्ष नहीं बनाया जाना चाहिए तो यह उचित नहीं है।’’
अशोक ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को क्रियान्वयन समिति का अध्यक्ष बनाने के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी आपत्ति उन्हें एक कार्यालय देने और उन पर 18,000 से 20,000 रुपये प्रति माह खर्च करने पर है।