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08 November 2022

सीपीआई की मांग, ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समीक्षा के लिए पूर्ण पीठ के पास भेजें

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने मंगलवार को कहा कि शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले ने आशंकाएं बढ़ा दी हैं।

वाम दल ने एक बयान में कहा कि फैसले ने कई राजनीतिक दलों और सामाजिक आंदोलनों के साथ आशंका पैदा कर दी है, इसलिए फैसले की संवैधानिक योग्यता के लिए सर्वोच्च न्यायालय की एक बड़ी संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए।

पार्टी ने कहा, "सीपीआई मांग करती है कि सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्ण पीठ वर्तमान फैसले की समीक्षा करे। आरक्षण के पीछे विधायी मंशा गरीबी उन्मूलन नहीं बल्कि हमारे समाज के ऐतिहासिक रूप से भेदभाव और वंचित वर्गों के लिए सकारात्मक कार्रवाई थी।"

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को 3-2 बहुमत से बरकरार रखा और कहा कि यह भेदभावपूर्ण नहीं था और संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता था।

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जबकि मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने 2019 के 103 वें संविधान संशोधन को बरकरार रखने वाले बहुमत की राय से असहमति जताई थी।

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TAGS: CPI, BJP, Suprem Court, Constitutional bench, EWS reservation
OUTLOOK 08 November, 2022
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