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31 March 2024

महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बावजूद केरल में लोकसभा चुनाव में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व

संसद में पिछले साल ऐतिहासिक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पारित होने से उत्साहित सभी दलों की महिला नेताओं ने मिठाइयां बांटकर इसका जश्न मनाया था और उम्मीद जतायी थी कि इससे उन्हें आगामी चुनावों में उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा।

ऐतिहासिक विधेयक पारित होने पर केरल में भी कोई कम जश्न नहीं मनाया गया था जहां 1.40 करोड़ से अधिक मतदाता महिलाएं हैं और स्थानीय निकायों में उनके लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित हैं।

महिला आरक्षण विधेयक 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद ही लागू होगा लेकिन महिला नेताओं को उम्मीद थी कि आम चुनाव में उम्मीदवारों की सूची में उन्हें उल्लेखनीय प्रतिनिधित्व मिलेगा।

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इसके विपरीत, उन्हें दक्षिणी राज्य में उन दलों से कुछ खास हाथ नहीं लगा है जिन्होंने ऐतिहासिक विधेयक के पारित होने पर खूब बातें की थीं।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने महिलाओं को क्रमश: तीन तथा एक सीट दी है जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी महिला नेताओं को पांच सीट दी हैं।

दिलचस्प बात यह है कि 1951-52 में पहले आम चुनाव के बाद से इस दक्षिणी राज्य से अभी तक केवल नौ महिलाएं लोकसभा पहुंची है जबकि मतदाता सूची में उनकी भागदारी सबसे अधिक, राज्य में 100 फीसदी साक्षरता दर और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए कई पहलें हैं।

अपने-अपने राजनीतिक दलों की विचारधाराओं से अलग हटकर कई महिला नेताओं ने यह माना है कि इस बार उन्हें लोकसभा चुनाव में अधिक प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद थी।

माकपा की वरिष्ठ नेता पी के श्रीमती ने कहा कि महिलाओं के संगठनों ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर कड़ा रुख अपनाया है क्योंकि देश में सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियां अभी उनके पक्ष में विकसित नहीं हुई हैं।

उन्होंने कहा कि संविधान में समानता की बात की गयी है लेकिन विभिन्न दलों के राजनीतिक नेतृत्व को अपनी मानसिकता बदलने तथा महिलाओं को समान अवसर देने की आवश्यकता है।

चुनावी राजनीति में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने के समर्थन में हमेशा आवाज उठाने वाली वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक शनिमोल उस्मान ने कहा कि देश में महिला आरक्षण विधेयक लागू होने पर ही उन्हें उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा।

हालांकि, उन्होंने भाजपा के उस प्रचार अभियान पर कड़ी आपत्ति जतायी कि उसकी पार्टी की सरकार ने देश में करोड़ों महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए यह ऐतिहासिक विधेयक पारित किया है।

उस्मान ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘भाजपा का दावा बिल्कुल निरर्थक और खोखला है क्योंकि उन्होंने अनिवार्य परिसीमन और जनगणना की कवायद के बिना यह किया है। यह सिर्फ वोट हासिल करने का एक दिखावा है।’’

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TAGS: Passing, Women's Reservation Bill, low representation, women, Lok Sabha elections, Kerala
OUTLOOK 31 March, 2024
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