द्रमुक ने उप-राष्ट्रपति धनखड़ की आलोचना की, न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी को बताया 'अनैतिक'
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने राष्ट्रपति के लिए राज्य विधेयकों को मंजूरी देने की समयसीमा तय करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश को लेकर न्यायपालिका पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ओर से की गई टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की।
पार्टी के उप महासचिव और राज्यसभा सदस्य तिरुचि शिवा ने कहा, ‘‘संविधान के अनुसार शक्तियों के बंटवारे के तहत, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के पास अलग-अलग शक्तियां हैं।’’
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को न्यायपालिका द्वारा राष्ट्रपति के निर्णय लेने के लिए समयसीमा निर्धारित करने और ‘सुपर संसद’ के रूप में कार्य करने को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय लोकतांत्रिक ताकतों पर ‘परमाणु मिसाइल’ नहीं दाग सकता।
धनखड़ ने न्यायपालिका के प्रति यह कड़ी टिप्पणी राज्यसभा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए की। कुछ दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारार्थ रखे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए समयसीमा तय की थी।
उन्होंने कहा था, ‘‘ हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यपालिका के कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है।’’
उपराष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय को पूर्ण शक्तियां प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 142 को ‘‘न्यायपालिका को चौबीसों घंटे उपलब्ध लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल’’ करार दिया।