तेजस्वी यादव पर पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट डालने का आरोप, शाहजहांपुर में एफआईआर दर्ज
शाहजहांपुर पुलिस ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट डालने के मामले में एफआईआर दर्ज की है। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को इसकी पुष्टि की। यह मामला शुक्रवार को सदर बाज़ार थाना क्षेत्र में दर्ज किया गया था।
शाहजहांपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) राजेश द्विवेदी ने बताया कि यह कार्रवाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शहर अध्यक्ष शिल्पी गुप्ता की लिखित शिकायत के आधार पर की गई। शिकायत में आरोप लगाया गया कि तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री के बारे में ‘अशोभनीय टिप्पणी’ की, जिसने न सिर्फ आम नागरिकों को आहत किया बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं में भी नाराज़गी फैलाई।
शिकायत में उल्लेखित सोशल मीडिया पोस्ट राष्ट्रीय जनता दल के आधिकारिक हैंडल से साझा किया गया था। उस पोस्ट में लिखा गया था, “आज गया में वोट चोर आयेगा और फिर बिहारियों के सामने झूठ और झूठ बोलेगा! ” इस टिप्पणी को भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री के पद की गरिमा का अपमान बताया।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, तेजस्वी यादव पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(2) (अफवाह फैलाना) और 197(1) A (चित्र के माध्यम से आरोप लगाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
भाजपा शहर अध्यक्ष शिल्पी गुप्ता ने अपनी शिकायत में कहा कि यह बयान न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पद का अपमान है, बल्कि जनता की भावनाओं को भड़काने का भी प्रयास है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी नेता जानबूझकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लोगों को भड़काने और भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस घटना के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी विरोध जताते हुए कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में आलोचना की गुंजाइश होती है, लेकिन किसी भी पद, खासतौर पर प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि हाल के दिनों में केंद्र और विपक्षी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी की बिहार यात्रा के मद्देनज़र विपक्ष लगातार उन पर हमलावर है, वहीं भाजपा इसे राजनीतिक साजिश और मर्यादा के खिलाफ करार दे रही है।
पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को खंगाला जाएगा। तेजस्वी यादव या उनकी पार्टी की ओर से अब तक इस पूरे विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
यह प्रकरण एक बार फिर सोशल मीडिया पर राजनीतिक मर्यादाओं और अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम संवैधानिक पदों की गरिमा के बीच की बहस को हवा दे रहा है।