योगी के ‘100 दिन’ के श्वेत पत्र बढ़ा सकते हैं अखिलेश की मुश्किलें
इन श्वेत पत्रों में ना केवल भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा होगी, बल्कि पिछले 5 सालों के दौरान सम्बंधित विभागों के क्रियाकलापों का भी उल्लेख और चिट्ठा होगा. ये रिपोर्ट कार्ड जून 25 से जारी होने शुरू हो जाएंगे.
अब तक योगी ने पूर्व यादव सरकार द्वारा शुरू की गयीं कई विकास और अवस्थापना की परियोजनायों के सम्बन्ध में पहले से ही जांच बिठा रखी है, जिनमे प्रमुख हैं गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे. श्वेत पत्रों के उपरान्त, कई और परियोजनाएं जांच के दायरे में आ सकती हैं.
योगी ने अप्रैल 28 को कहा था कि उनकी सरकार 100 दिन के एजेंडा पर काम कर रही है और प्रयास कर रही है कि शासन की कार्य प्रणाली और शैली में बदलाव आये जिससे ‘गुड गवर्नेंस’ के लक्ष्य को हासिल किया जा सके.
इसके साथ ही, योगी ने अपने मंत्रिमंडल को ये भी निर्देश दिए थे कि वो अपने विभागों के सम्बन्ध में 100 दिन के रिपोर्ट कार्ड स्वरूप ‘श्वेत पत्र’ जारी करने की तैयारी करें.
उसके पूर्व, मुख्यमंत्री योगी ने सभी विभागों की मैराथन बैठकों कर दौर भी शुरू किया था और कुल मिला के करीब 15 ऐसी बैठकों की अध्यक्षता की थी. इनमे से कुछ बैठकें तो आधी रात के बाद तक चली, जो कि उत्तर प्रदेश मे बिरले ही देखने को मिलती हैं. अब जबकि योगी को अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे करने में सिर्फ कुछ दिन ही बचे हैं, मंत्री अपने अपने विभाग का रिपोर्ट कार्ड पेश करने की तैयारी कर रहे हैं.
योगी ने 19 मार्च को शपथ ग्रहण की थी. सत्ता संभालने के उपरान्त, योगी सरकार के मंत्रियों नें अपने अपने विभागों में पूर्व के दौर में हुए कथित भ्रष्टाचार और बन्दर बाँट की तरफ इशारा किया था. अखिलेश सरकार के दौरान कई बड़ी योजनायों का पदार्पण हुआ, जिनका कुल बजट कई हज़ार करोड़ के पार था. परन्तु, ज्यादातर योजनाएं अपने निश्चित कार्यकाल और कई गुना अधिक बजट तक पहुँच गयीं थीं और कई तो अभी तक पूरी नहीं हैं.
उदहारण के लिए, गोमती रिवरफ्रंट का कुल बजट 1500 करोड़ निर्धारित था, परन्तु अब तक ये योजना पूरी नहीं हुई है, जबकि करीब-करीब पूरा बजट खर्च हो चुका है. इस मामले की जांच हाईकोर्ट के एक पूर्व जज द्वारा की गयी है। उस रिपोर्ट को योगी द्वारा गठित एक अन्य समिति, जिसके अध्यक्ष राज्य मंत्रिमंडल सदस्य सुरेश खन्ना थे, ने अध्यन करके कई अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की संस्तुति की है. उधर 15000 करोड़ की लागत वाली आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे परियोजना भी योगी शासन के जांच के दायरे में है.