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24 December 2016

साल 2016 में दिल्ली पर टिकी रहीं ममता की निगाहें

पूर्ववर्ती वाम मोर्चा के शासनकाल के दौरान टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण किए जाने को अवैध और अमान्य करार देते हुये उच्चतम न्यायालय ने किसानों को भूमि वापस करने का आदेश दिया। उच्चतम अदालत के इस फैसले को तृणमूल सरकार की जीत के रूप में देखा गया और ममता ने इसे अपनी पार्टी के लिए एेतिहासिक जीत करार दिया। इस साल निर्माणाधीन विवेकानंद रोड फ्लाईओवर का कुछ हिस्सा ध्वस्त होने से 20 से अधिक लोगों की मौत हो गयी। इस घटना को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और ममता ने इसके लिए पूर्ववर्ती वाम मोर्चा सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस वाम मोर्चा गठबंधन ने नारद स्टिंग आॅपरेशन और शारदा घोटाला मुद्दे को जोरशोर से उठाया लेकिन 294 सदस्यीय विधानसभा में तृणमूल ने 211 सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा ने कांग्रेस और वाम गठबंधन का खेल बिगाड़ने का काम किया और इस गठबंधन को 76 सीटें मिली। भाजपा ने अपना खाता खोलते हुये तीन सीटों पर जीत दर्ज की। जीत का सिलसिला जारी रखते हुये तृणमूल ने राज्य में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुुनावों में जीत दर्ज की।

बंगाल में मुख्य विपक्षी पार्टियों को कमजोर करने के बाद ममता वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने की ओर उन्मुख हुयीं। प्रधानमंत्राी नरेन्द्र मोदी के आठ नवंबर को 500 और।,000 रूपये के नोट अमान्य करने के निर्णय का सबसे पहले ममता ने विरोध किया और इसे जनविरोधी तथा देश में आर्थिक आपातकाल करार दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नोटबंदी ने ममता को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राष्टीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने का मौका दे दिया। भाजपा के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने के लिए ममता ने केंद्र में केसरिया पार्टी के खिलाफ एक जुट हो कर लड़ने का आवान किया और उन्हें राजग की सहयोगी शिवसेना का तक समर्थन मिला। अपनी मुहिम में ममता ने मतभेदों को ताक पर रख कर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से भी बातचीत की।

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मोदी विरोधी मुहिम में कोई कसर न छोड़ते हुए ममता ने राज्य के कुछ टोल प्लाजा पर सैन्य कर्मियों की तैनाती को भी बड़ा मुद्दा बना दिया और इसे केंद्र की विद्रोह की कोशिश करार दिया जबकि सेना ने इसे नियमित अभियान बताया। इस साल कांग्रेस और वाम दलों के कुछ नव-निर्वाचित विधायकों ने अपनी अपनी पार्टी  छोड़ दी और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये जिनमें राज्य कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मानस भुइयां भी शामिल हैं। 

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TAGS: ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल, तृणमूल कांग्रेस, नोटबंदी, सुर्खियां, नोटबंदी
OUTLOOK 24 December, 2016
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