आधार संशोधन बिल राज्यसभा में भी पास, बैंक खाता, सिम कार्ड के लिए नहीं होगा अनिवार्य
लोकसभा में ध्वनि मत से पास होने के बाद अब आधार संशोधन बिल 2019 को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आधार संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर लोगों का डेटा सुरक्षित होने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि आधार संशोधन कानून बनने के बाद किसी की इच्छा के बिना उसका आधार डेटा स्टोर नहीं किया जा सकेगा और यदि कोई ऐसा करता पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
बैंक खातों और सिम कार्ड के लिए आधार अनिवार्य नहीं
आधार संशोधन बिल 2019 के अनुसार बैंक खातों और सिम कार्ड के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा। यदि कोई शख्स इन कार्यों के लिए अपने आधार की जानकारी नहीं दे रहा है तो उस पर दवाब नहीं बनाया जा सकेगा। दूसरे शब्दों में कहें तो सिम कार्ड लेने और बैंक खाता खुलवाने के लिए अब आपको आधार कार्ड देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पहचान के तौर पर आप वोटर कार्ड पेश कर सकते हैं।
सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में देखा जा सकता है डेटा
राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में आधार डेटा को देखा जा सकेगा अन्यथा आधार का डाटा देखने पर 3 साल की जेल हो सकती है। आधार का डेटा सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे की स्थिति में ही एक्सेस किया जा सकेगा।
विपक्ष ने किया विरोध
चर्चा के दौरान विपक्ष के अधिकतर सदस्यों ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के पीछे सरकार की मंशा उच्चतम न्यायालय के उस फैसले को निष्प्रभावी बनाना है जिसमें सर्वोच्च अदालत ने आधार कानून की धारा 57 को गैरकानूनी बताया था।
इसके जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जनता ने हमें कानून बनाने का सार्वभौमिक अधिकर दिया है। न्यायालय के फैसलों का हम सम्मान करते हैं लेकिन कानून बनाने के संसद का अधिकार भी सम्मान के योग्य है।
‘फर्जी राशन कार्ड पकड़े गए’
उन्होंने कहा कि आधार के माध्यम से विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ के रूप में जारी राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा कराने से अब तक 1.41 लाख करोड़ रुपये बचाया गया है। इसके माध्यम से 4.23 करोड़ फर्जी रसोई गैस कनेक्शन तथा 2.98 करोड़ फर्जी राशन कार्ड को हटाया गया है। इसके अलावा मनरेगा योजना में सरकारी राशि के दुरुपयोग (लीकेज) को रोका गया है।
‘आधार में जाति धर्म का जिक्र नहीं’
प्रसाद ने कहा कि आधार कार्ड में धारक की मूलभूत जानकारियों का ही जिक्र है। इसमें जाति, धर्म, सम्प्रदाय आदि ऐसी जानकारियों का जिक्र नहीं है जिनकी मदद से किसी की प्रोफाइलिंग की जा सके। आधार में प्रतिदिन 2.88 करोड़ जानकारियों का प्रमाणीकरण किया जाता है। इसलिए यह डेटा पूरी तरह से सुरक्षित है।
‘डेटा संरक्षण को लेकर हम प्रतिबद्ध’
प्रसाद ने कहा कि डेटा संरक्षण कानून बनाने की दिशा में कार्य प्रगति पर है। इस पर पिछले दो वर्षो से व्यापक चर्चा चल रही है। भारत डेटा संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आधार की पूरे देश में चर्चा हो रही है और इसे सभी का समर्थन होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में करोड़ों लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए अध्यादेश लाया गया था। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने वाम दलों के नेता के के रागेश और इलामारम करीम के संशोधन प्रस्तावों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।