वकील ने किया दावा, सीजेआई गोगोई पर फर्जी केस करने के लिए मिला था पैसों का ऑफर
एक अधिवक्ता ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक सनसनीखेज दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का इस्तीफा दिलाने के लिए उन्हें यौन उत्पीड़न के फर्जी केस में फंसाने के लिए साजिश रची गई थी।
शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने जिस केस को अत्यधिक महत्वपूर्ण मानकर विशेष सुनवाई की थी, उस मामले में वकील उत्सव सिंह बैंस ने एक हलफनामा दाखिल करके दावा किया कि उन्हें अजय नाम के एक व्यक्ति ने डेढ़ करोड़ रुपये की पेशकश की थी। यह पेशकश सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी की ओर से केस लड़ने और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने के लिए की गई थी।
अधिवक्ता ने कहा कि वादी प्रधान न्यायाधीश का इस्तीफा कराने के लिए रची गई यौन उत्पीड़न की साजिश के गंभीर मामले की जानकारी सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाना चाहता है। बैंस ने कहा कि आरोप सुनकर वह सकते में आ गए। इस वजह से वह शिकायतकर्ता की ओर से केस लड़ना चाहते थे। लेकिन जब अजय नाम के व्यक्ति ने मामले की घटनाओं और तथ्यों के बारे में बताया तो वादी उनसे संतुष्ट नहीं हुआ। उसे अजय द्वारा बताई गई पूरी कहानी में कई विरोधाभास नजर आए। अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने शिकायतकर्ता से बात करने की इच्छा जताई ताकि दावों की पुष्टि की जा सके। लेकिन शिकायतकर्ता से मुलाकात नहीं कराई गई तो उनका संदेह और बढ़ गया। उन्होंने दावा किया कि जब वादी ने अजय की पेशकश को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया तो प्रधान न्यायाधीश को फंसाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई। बाद में यह रकम बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपये तक कर दी गई। इसके बाद वादी ने अजय को तुरंत अपने ऑफिस से निकाल दिया।
हलफनामे के अनुसार वादी को विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली की रिश्वत लेकर अवैध रूप से फैसले कराने में संलिप्त कुछ साजिशकर्ता इस साजिश के पीछे हैं क्योंकि गोगोई ने इन लोगों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की थी।
उत्सव सिंह जेल में बंद आसाराम के खिलाफ यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों और उनके परिजनों का केस लड़ रहे हैं। इसके अलावा भी वह कई मामले लड़ मामले लड़ रहे हैं। उन्होंने अपने हलफनामे में कुछ साजिशकर्ताओं का उल्लेख भी किया है। लेकिन उन्होंने अपने सूत्र का उल्लेख नहीं किया है। हलफनामे के अनुसार वादी किसी भी स्थिति में किसी भी सूत्र का उल्लेख नहीं करेगा क्योंकि एडवोकेट्स एक्ट के तहत उसके पास यह विशेष अधिकार है।