राजस्थान के रण की ये हैं वो हॉट सीट, जहां से निकलेगा राज्य का अगला मुख्यमंत्री
राजस्थान में विधानसभा चुनाव की 199 सीटों के लिए वोटिंग जारी है। आज 2,274 उम्मीदवारों की राजनीतिक किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी। सूबे में 200 विधानसभा सीटों में से 199 विधानसभा सीटों के लिए 189 महिला उम्मीदवारों सहित 2,274 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में हैं। अलवर जिले के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बीएसपी उम्मीदवार के निधन की वजह से चुनाव स्थगित कर दिया गया है।
राज्य में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है। राज्य की सत्ता को बरकरार रखने और सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने की इस सियासी लड़ाई में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट और राज्य के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस नेता, अशोक गहलोत की सीटें अहम हैं। इन सीटों में से ही राज्य को अगला मुख्यमंत्री भी मिलेगा। इन तीनों सीटों के अलावा सूबे की चार अन्य विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं।
आइए जानते हैं इन 7सीटों के बारे में-
उदयपुर शहर
विश्व भर में पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र उदयपुर में कांग्रेस की दिग्गज महिला नेता गिरिजा व्यास और वसुंधरा सरकार में मंत्री गुलाबचंद कटारिया के बीच टक्कर है। गुलाबचंद कटारिया उदयपुर शहर से विधायक और सूबे के गृहमंत्री हैं। उनकी गिनती वसुंधरा सरकार के ताकतवर मंत्रियों में होती है।
वहीं, गिरिजा व्यास चार बार लोकसभा सदस्य रह चुकी हैं। वो सिर्फ 25 साल की उम्र में ही राजस्थान विधानसभा की सदस्य बन गई थीं। नरसिम्हा राव सरकार में उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और मनमोहन सिंह की यूपीए-2 में शहरी आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली थी। गिरिजा व्यास राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के साथ-साथ लोकसभा में कांग्रेस की मुख्य सचेतक के पद पर भी रहीं हैं।
बाड़मेर
बीजेपी सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी बाड़मेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। कर्नल सोनाराम चौधरी की गिनती मारवाड़ के कद्दावर जाट नेताओं के रूप में होती है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से मेवाराम जैन वहां से चुनाव लड़ रहे हैं। मेवाराम वर्तमान में बाड़मेर सीट से विधायक भी हैं।
सोनाराम चौधरी 1996, 1998, 1999 में बाड़मेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनावों में चौधरी पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह के सामने चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।
सोनाराम 2008 में बाड़मेर की बायतु विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे। इसके बाद 2013 में चौधरी ने इसी सीट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2013 में विधानसभा का चुनाव हारने के बाद चौधरी 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और बीजेपी के पूर्व वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह को हराकर लोकसभा पहुंचे। बीजेपी ने 2018 के विधानसभा चुनावों में सांसद सोनाराम चौधरी को इस बार बाड़मेर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।
सबसे हॉट सीट झालरापाटन
झालावाड़ की झालरापाटन विधानसभा सीट पर इस बार राजस्थान ही नहीं दिल्ली की भी निगाहें टिकी हुई हैं। इस सीट पर बीजेपी से वसुंधरा राजे मैदान में हैं। कांग्रेस ने उनके खिलाफ मारवाड़ के दिग्गज नेता मानवेंद्र सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। मानवेंद्र और वसुंधरा राजे के आमने-सामने होने की वजह से झालरापाटन प्रदेश की सबसे हॉट सीट बन गई है। वसुंधरा राजे 2003 से इस सीट से लगातार विधायक हैं।
टोंक में पायलट की प्रतिष्ठा
राजस्थान की टोंक विधानसभा सीट से इस बार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट मैदान में हैं। पायलट के मैदान में उतरने के बाद बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक और घोषित प्रत्याशी में बदलाव करते हुए वरिष्ठ नेता यूनुस खान को मैदान में उतारा है।
पायलट और यूनुस खान के मैदान में उतरने से टोंक की सियासी लड़ाई काफी रोचक हो गई है। हालांकि, इस सीट पर दोनों उम्मीदवार बाहरी हैं, लेकिन राजनीतिक दिग्गजों के चलते सभी की निगाहें टिकी हैं। मुस्लिम बहुल इस सीट पर 2013 के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा था।
सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के युवा तेजतर्रार नेता हैं और प्रदेश कांग्रेस की कमान अभी उन्हीं के हाथों में है। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से सचिन पायलट मुख्यमंत्री के उम्मीदवार भी माने जा रहे हैं। पायलट राजस्थान के दौसा लोकसभा सीट से पहली बार 2004 में सांसद बने और 2009 में वो अजमेर से लोकसभा के लिए दूसरी बार चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी वो अजमेर से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। सचिन पायलट केन्द्र में भी भूमिका निभा चुके हैं। वो यूपीए-2 में कॉरपोरेट मंत्री के पद पर थे. सचिन पायलट को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता राजेश पायलट कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता थे।
सरदारपुरा का कौन बनेगा सरदार
जोधपुर की सरदारपुरा सीट राजस्थान की हाई प्रोफाइल सीटों में गिनी जाती है। यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मैदान में हैं। गहलोत के सामने बीजेपी ने शंभू सिंह खेतासर को मैदान में उतारा है। कांग्रेस के अशोक गहलोत 1998 से 2003 तक और फिर 2008 से 2013 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।
माना जा रहा है कि पिछली बार के चुनाव की तरह इस बार भी दोनों नेताओं में दिलचस्प और कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। गहलोत को कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार किया जाता है. वो इस वक्त कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव हैं।
छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहने वाले गहलोत ने सबसे पहले 1980 में जोधपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर राजनीति में प्रवेश किया था। इसके बाद उन्होंने 1984, 1991, 1996 और 1998 में भी लोकसभा चुनाव जीता। साल 1999 में उन्हें राजस्थान के चुनाव में एंट्री की और सरदारपुरा, जोधपुर से चुनाव जीतकर राजस्थान विधानसभा पहुंचे।
नाथद्वारा
सूबे की नाथद्वारा विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरे हैं। 2008 के चुनाव में वो महज एक वोट से हार गए थे। बीजेपी ने सीपी जोशी के सामने राजपूत वोटरों को टार्गेट करते हुए महेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है। महेश कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं।
सादुलपुर
राजस्थान विधानसभा चुनाव में सादुलपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता एथलीट कृष्णा पुनिया चुनाव लड़ रही हैं। उनके मुकाबले में भाजपा के टिकट पर दिग्गज जाट नेता रामसिह कस्वा मैदान में हैं।
रामसिह कस्वा चुरू से पूर्व में सांसद रह चुके हैं। वर्तमान में उनके पुत्र सांसद हैं। कृष्णा पुनिया को मैदान में उतारकर कांग्रेस ने जीत का समीकरण साधने का प्रयास किया है। युवाओं और खेलों से जुड़े लोगों में कृष्णा पुनिया का काफी सम्मान है । डिस्कस थ्रो खिलाड़ी कृष्णा पुनिया 2010 के राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक और दो बार एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीत चुकी हैं।
राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है बीजेपी
बीजेपी राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस ने पांच सीटें गठबंधन की पार्टियों को देकर 195 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। बीएसपी के 190, सीपीआईएम के 28, सीपीआई के 16 और 830 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।