सोनीपत में बीरेंद्र सिंह बेटे के लिए मांग रहे टिकट, कांग्रेस से हुड्डा परिवार रेस में
केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और उचाना से भाजपा विधायक प्रेम लता अपने आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह की राजनीतिक पारी हरियाणा के सोनीपत संसदीय क्षेत्र से शुरू करवाने के फेर में हैं। इसके लिए खुद बीरेंद्र सिंह और प्रेम लता अपनी तरफ से गंभीर प्रयास कर रहे हैं। इस संसदीय क्षेत्र से इस बार कांग्रेस की तरफ से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा या उनकी पत्नी आशा हुड्डा के चुनावी दंगल में उतारने की चर्चाएं भी हैं। सोनीपत संसदीय क्षेत्र इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ी चुनौती रहेगा।
कौन हैं बृजेंद्र सिंह
बृजेंद्र सिंह 1998 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। भाजपा उन्हें सोनीपत से चुनावी दंगल में उतारती है तो इसके लिए भाजपा को बहुत सोच विचार करना होगा। इस संसदीय क्षेत्र से पिछले 2 चुनावों में किसी भी प्रमुख दल ने जींद जिले से प्रत्याशी बनाने की हिम्मत नहीं दिखाई है। 2004 में इनेलो ने सोनीपत से कृष्णा मलिक को अपना प्रत्याशी जरूर बनाया था लेकिन कृष्णा मलिक तीसरे स्थान पर रह गई थीं। उसके बाद से कांग्रेस, भाजपा या इनेलो किसी भी प्रमुख दल ने सोनीपत संसदीय क्षेत्र से जींद जिले के किसी नेता पर दांव नहीं लगाया।
बृजेंद्र सिंह जींद जिले से हैं। ऐसे में उन पर भाजपा सोनीपत संसदीय क्षेत्र से चुनावी दाव लगाती है तो यह भाजपा का राजनीतिक रूप से बेहद साहसी फैसला माना जाएगा। प्रदेश में जिस तरह से राजनीतिक माहौल जींद उपचुनाव में भाजपा की शानदार जीत से बना है, उसमें भाजपा सोनीपत से केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह पर दांव लगाने की हिम्मत कर सकती है।
कांग्रेस से हुड्डा या उनके परिवार के सदस्य के चुनाव लड़ने की चर्चाएं
सोनीपत संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा या उनकी पत्नी आशा हुड्डा के चुनाव लडऩे की चर्चाएं राजनीतिक क्षेत्रों में खासी गर्म हैं। इन चर्चाओं को सोनीपत संसदीय क्षेत्र में खुद भूपेंद्र हुड्डा और रोहतक के कांग्रेसी सांसद दीपेंद्र हुड्डा की सक्रियता बल दे रही है।
कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही ऐसे नेता हैं, जिनका सोनीपत जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर बहुत गहरा राजनीतिक प्रभाव है और जींद जिले की भी 3 विधानसभा सीटों जुलाना, सफीदों और जींद में उनका खासा असर है।
कांग्रेस ने जिस तरह जींद उप चुनाव में रणदीप सुरजेवाला जैसे बड़े चेहरे को चुनावी दंगल में उतारने से गुरेज नहीं किया था, उसे देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि सोनीपत से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा या उनकी पत्नी आशा हुड्डा कांग्रेस प्रत्याशी हो सकते हैं। अगर हुड्डा परिवार सोनीपत से संसदीय चुनाव नहीं लड़ता है तो उस सूरत में भूपेंद्र हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार प्रो. वीरेंद्र, इनेलो से कांग्रेस में शामिल हुए सुरेंद्र दहिया या महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव डा. वीना देशवाल के कांग्रेस प्रत्याशी होने की संभावनाएं हैं।
भूपेंद्र हुड्डा पर चल रहा है प्लॉट आवंटन से जुड़ा केस
प्लॉट आवंटन मामले में पूर्व सीएम भपेंद्र हुड्डा की बुधवार को पंचकूला के विशेष सीबीआई अदालत में पेशी हुई। मामले में सुनवाई के दौरान सीबीआई द्वारा बचाव पक्ष ने मांगे गए दस्तावेज सौंपे। वहीं बचाव पक्ष द्वारा मामले में आरोपी मोतीलाल वोहरा के उम्र और मेडिकल कारणों के चलते परमानेंट एक्सेम्पशन के लिए याचिका लगाई गई है। लेकिन मोतीलाल वोहरा सीबीआई कोर्ट में नहीं पहुंचे। वहीं मामले सीबीआई कोर्ट 31 मई को अपना फैसला सुनाएगी।
भूपेंद्र हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने सीएम रहते हुए नेशनल हेराल्ड की सब्सिडी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) कंपनी को 2005 में 1982 की दरों पर प्लॉट अलॉट करवाया था।
साथ ही पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट में भूपेंद्र हुड्डा की मानेसर लैंड सकैम मामले में भी सुनवाई हुई। जिसके दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर हुड्डा व अन्य आरोपी कोर्ट में पेश हुए। इस मामले में आरोपी अतुल बंसल सीबीआई कोर्ट नहीं पहुंचे। जिसके चलते सीबीआई कोर्ट ने आरोपी अतुल बंसल को घोषित करने की कार्यवाई कर दी। मामले की अगली सुनवाई अब 31 मई को होगी।
सोनीपत संसदीय क्षेत्र का हाल
हरियाणा में सत्तारूढ़ दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस दोनों के लिए सोनीपत संसदीय क्षेत्र कड़ी चुनौती साबित होगी। इस संसदीय क्षेत्र में जिस तरह का राजनीतिक माहौल है, उसमें भाजपा या कांग्रेस में से किसी भी दल के लिए चुनाव आसान नहीं होगा।
2014 में सोनीपत संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर रमेश कौशिक ने बाजी मारी थी। उन्होंने कांग्रेस के जगबीर मलिक को पराजित किया था। 2009 में सोनीपत संसदीय सीट पर कांग्रेस के जितेंद्र मलिक ने जोरदार जीत हासिल की थी तो 2014 में सोनीपत संसदीय सीट पर भाजपा के रमेश कौशिक 70 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से विजयी रहे थे।
2014 के संसदीय चुनावों में भाजपा को जींद, सफीदों, सोनीपत, गन्नौर, राई विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी। 4 विधानसभा सीटों पर 2014 में भी भाजपा को लीड नहीं मिल पाई थी। 2009 के संसदीय चुनावों में सोनीपत से भाजपा को 9 में से 8 विधानसभा क्षेत्रों में करारी हार का सामना करना पड़ा था। केवल जींद विधानसभा क्षेत्र में ही उसे बढ़त मिल पाई थी।