राफेल डील पर सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, कहा- दोबारा सुनवाई की जरूरत नहीं
केंद्र सरकार ने राफेल डील मामला दोबारा खोलने की याचिका का कड़ा विरोध किया है। उसने सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को दाखिल अपने नए हलफनामे में कहा है कि याचिका दायर करने वाले इस मामले में कोई स्पष्ट खामी न होने के बावजूद जांच का आदेश चाहते हैं।
सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा
सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट लोगों के अनुमान के आधार पर पूरे मामले की व्यापक जांच से पहले ही इनकार कर चुकी है। सरकार की ओर से रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव और खरीद प्रभारी द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका में मामले को दोबारा खोलने का कोई आधार नहीं है। इस आवेदन पर कोई राहत देने की आवश्यकता नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।
दोबारा जांच की जरूरत नहीं
हलफनामे के अनुसार अनधिकृत तथा अवैध रूप से हासिल की आंतरिक फाइलों की अधूरी टिप्पणियों और मीडिया रिपोर्ट को आधार बनाकर पिछले साल दिसंबर के अदालत के फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई है। इस तरह के आधार पर दस्तावेज प्रस्तुत करने की मांग करना और पूरे मामले की दोबारा जांच शुरू करने की मांग करना अनुचित है। दोबारा जांच नहीं की जा सकती है क्योंकि समीक्षा याचिका का दायरा बहुत की सीमित है।
तीन दस्तावेजों को सबूत माना था अदालत ने
इससे पहले अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राफेल डील से संबंधित तीन दस्तावेजों को सबूत के तौर पर स्वीकार करने की अनुमति प्रदान की थी जिसका सरकार ने यह कहकर विरोध किया था कि इन गोपनीय दस्तावेजों को पुनर्विचार याचिका का आधार नहीं बनाया जा सकता।
अप्रैल में यशवंत सिन्हा ने कहा था कि सरकार ने जानबूझकर झूठे दावे पेश करके कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की। इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है कि सरकार ने झूठ बोला था। कोर्ट को हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए जानबूझकर मनगढंत चीजें बनाई गईं। दस्तावेज इसे साबित करते हैं और अब हम इस मामले को उसके तार्किक निष्कर्ष तक लड़ेंगे।