चुनाव लड़ने पर संकट, हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हार्दिक पटेल
कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने 2015 के विसपुर दंगा मामले में उन्हें दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की अर्जी खारिज करने के गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। पटेल की याचिका मंगलवार को तत्काल सुनवाई के लिए आ सकती है और उनके वकील हाई कोर्ट के 29 मार्च के आदेश पर रोक लगाने की मांग करेंगे जो उनके लोकसभा चुनाव लड़ने के रास्ते में आड़े आ रहा है। पटेल ने 12 मार्च को कांग्रेस का दामन थामा था और जामनगर से पार्टी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की तैयारियां शुरू कर दी थीं। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख चार अप्रैल है। गुजरात की 26 लोकसभा सीटों के लिए मतदान 23 अप्रैल को होगा।
चुनाव लड़ने पर संकट
जन प्रतिनिधित्व कानून और सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के तहत दो साल या अधिक वर्षों की जेल की सजा काट रहा व्यक्ति दोषसिद्धि पर रोक लगने तक चुनाव नहीं लड़ सकता। हार्दिक को उच्चतम न्यायालय से राहत नहीं मिलती है तो वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। यह कांग्रेस के लिए एक झटका होगा क्योंकि हाल ही में वह कांग्रेस में शामिल हुए हैं और जामनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
क्या है मामला
पिछले साल जुलाई में मेहसाणा जिले के विसनगर में सत्र अदालत ने पटेल को दो साल जेल की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हार्दिक पटेल ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए सजा से राहत दी जाए। लेकिन न्यायालय ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
पिछले साल जुलाई में गुजरात की एक अदालत ने मेहसाणा के भाजपा विधायक के दफ्तर पर हमला करने के आरोप में हार्दिक पटेल और उनके दो अन्य साथियों को दोषी ठहराते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उन्हें 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया था।