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09 March 2020

विपक्ष की मांग, जम्मू-कश्मीर में नजरबंद नेताओं को जल्द करें रिहा

File Photo

विपक्ष ने जम्मू-कश्मीर में हिरासत में रखे गए सभी राजनीतिक लोगों, विशेष तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की तत्काल रिहाई की मांग की है।

विपक्षी नेताओं की तरफ से एक बयान में कहा गया है, “लोकतांत्रिक मानदंडों, नागरिकों के मौलिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, असंतोष को न केवल दबाने का प्रयास किया जा रहा है, बल्कि  उचित आवाज उठाने के तरीकों को भी व्यवस्थित तौर से चुप कराया जा रहा है।"

कोई रिकॉर्ड नहीं

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विपक्ष ने अपने बयान में कहा है, "मोदी सरकार के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है और ना ही इन तीन नेताओं के पिछले रिकॉर्ड में कुछ भी ऐसा है जो यह साबित करे कि कि वे जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं या उन्होंने अपनी गतिविधियों से राष्ट्रीय हितों को खतरे में डाला है।"

तीन मुख्यमंत्रियों पर लगाया गया पीएसए

इन तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत मामला दर्ज कर हिरासत में रखा गया है। पीएसए एक ऐसा कानून है जो किसी व्यक्ति पर लागाए जाने के बाद उसे बिना की ट्रायल के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।

विशेष राज्य का दर्जा समाप्त

गौरतलब है कि पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था। साथ ही सुरक्षा के मद्देनजर घाटी के कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। वहीं, इंटरनेट और मोबाइल सेवा भी बंद कर दिए गए थे। लगभग 7 महीने के बाद घाटी में फिलहाल 2जी बहाल की गई है।

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TAGS: dissent stifled, opposition demands, immediate release, jammu and kashmir politicians
OUTLOOK 09 March, 2020
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