राजस्थान के पूर्व सीएम गहलोत ने बाड़मेर रिफाइनरी की मंजूरी के लिए पीएम मोदी से की हस्तक्षेप की मांग
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाड़मेर रिफाइनरी से संबंधित सभी स्वीकृतियां जारी करने के लिए पीएमओ को निर्देश देने की अपील की। मोदी सोमवार को जयपुर में राइजिंग राजस्थान निवेश शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
बाड़मेर रिफाइनरी की मंजूरी से संबंधित मुद्दों को उठाते हुए गहलोत ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राइजिंग राजस्थान कार्यक्रम के लिए जयपुर आ रहे हैं। मैं उनसे राजस्थान के हित में अनुरोध करता हूं कि वे बाड़मेर रिफाइनरी से संबंधित सभी अनुमतियां जारी करने के लिए पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) को निर्देश दें।"
उन्होंने हिंदी में कहा, "जब मैंने 2 जून 2023 को बाड़मेर रिफाइनरी में काम की प्रगति समीक्षा बैठक की थी, तो रिफाइनरी प्रशासन ने 31 दिसंबर 2024 से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब इस तिथि तक काम पूरा होने की कोई संभावना नहीं है।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि रिफाइनरी के उपोत्पादों से बनने वाले उत्पादों के लिए बाड़मेर और जोधपुर के बीच पेट्रोलियम रसायन एवं पेट्रो निवेश क्षेत्र (पीसी-पीआईआर) विकसित किया जाना था और इसके लिए सभी प्रकार के उद्योग स्थापित किए जाने थे। उन्होंने कहा, "हमारी सरकार ने 2021 में इसके लिए भूमि आवंटित करके काम को आगे बढ़ाया था, लेकिन नई भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद पीसी-पीआईआर पर काम पूरी तरह से ठप हो गया है। तथाकथित 'डबल इंजन' सरकार के बावजूद, भारत सरकार ने पीसी-पीआईआर के लिए आवश्यक अनुमतियों को लंबित रखा है।"
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने दावा किया कि अनुमति लंबित होने के कारण रिफाइनरी के चालू होने के बाद भी इसके सभी उपोत्पादों का प्रसंस्करण दूसरे राज्यों में किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि उम्मीद थी कि पीसी-पीआईआर से 1.5 लाख नए रोजगार सृजित होंगे, लेकिन अब ऐसा लगता है कि यह उम्मीद खत्म हो रही है।
गहलोत ने कहा, ‘‘जनता यह नहीं भूली है कि पिछली भाजपा सरकार के दौरान रिफाइनरी का काम पांच साल तक लंबित रखा गया, जिससे इसकी निर्माण लागत 40,000 करोड़ रुपये से लगभग दोगुनी हो गई और राज्य सरकार पर अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ा।’’ उन्होंने दावा किया कि अब पीसी-पीआईआर के काम में अनावश्यक देरी के कारण उद्योग दूसरे राज्यों में चले जाएंगे और युवाओं के लिए संभावित रोजगार के अवसर भी खत्म हो जाएंगे।