दिल्ली के बजट को गृह मंत्रालय ने दी मंजूरी, वित्तमंत्री गहलोत ने कहा, इसे रोकना असंवैधानिक था
दिल्ली के बजट को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और केंद्र के बीच आरोप-प्रत्यारोप के एक दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के बजट को मंजूरी दे दी, जिससे विधानसभा में इसे पेश करने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
यह मंजूरी तब मिली, जब इसके कुछ ही घंटे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बजट को नहीं रोकने का आग्रह करने के साथ ही यह सवाल भी किया था कि क्या वह दिल्ली के लोगों से ‘परेशान’ हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए दिल्ली सरकार का बजट मंगलवार को पेश किया जाना निर्धारित था, लेकिन विभिन्न मदों के तहत आवंटन पर केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच आरोप-प्रत्यारोप के चलते इसे स्थगित कर दिया गया।
दिल्ली के वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, ‘‘मैं इस सदन को दुख और भारीपन के साथ सूचित करता हूं कि केंद्र ने कल हमारे बजट को रोक दिया। दस्तावेजों के साथ पूरा बजट गृह मंत्रालय को 10 मार्च को भेजा गया था।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें सोमवार अपराह्न करीब 2 बजे पता चला कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने कुछ सवाल उठाए हैं। गहलोत ने विधानसभा में कहा, ‘‘मैंने कई बार मुख्य सचिव और वित्त सचिव से पूछा और आखिरकार शाम 6 बजे के आसपास, मैंने फाइल देखी और मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इसे उपराज्यपाल को भेज दिया गया।’
उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा असंवैधानिक कुछ नहीं हो सकता और मामले की जांच की मांग की। बजट अटकने का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि चुनी हुई सरकार विपक्षी भाजपा के विधायकों के बहिर्गमन के कारण इसे पारित भी नहीं करा सकी।
विधानसभा में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, ‘‘बजट आज पेश किया जाना था। केंद्र ने इसे रोक दिया। हमने बजट में कोई बदलाव किए बिना गृह मंत्रालय के सवाल का जवाब दिया और उन्होंने अब इसे मंजूरी दे दी है। वे चाहते थे कि मैं झुक जाऊं। यह उनका अहंकार है और कुछ नहीं।’’
इस मुद्दे को लेकर विधानसभा में हंगामा हुआ और भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने बजट विवरण के कथित लीक पर विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया, जबकि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने उन पर सदन की कार्यवाही को बाधित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
इसके बाद, आप विधायक संजीव झा द्वारा पेश प्रस्ताव को बहुमत से पारित किए जाने के बाद, उन्हें अगले बजट सत्र तक एक साल के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया।
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनके मंत्रियों तथा आम आदमी पार्टी पर ‘‘दिल्ली के लोगों तथा मीडिया को गुमराह करने तथा आप सरकार की नाकामियों से उनका ध्यान भटकाने के एकमात्र उद्देश्य से जानबूझकर झूठे बयान देने’’ का आरोप भी लगाया।
उपराज्यपाल कार्यालय में एक सूत्र ने कहा, ‘‘वह कह रहे हैं कि केंद्र ने राज्य का बजट रोक दिया है। यह साफ तौर पर झूठ है। दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है, न कि राज्य और इसलिए यह पूर्ण रूप से भारत सरकार का हिस्सा है। साथ ही बजट रोका नहीं गया।’’
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्र ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुसार विधानसभा में दिल्ली का बजट पेश करने से पहले भारत के राष्ट्रपति की पूर्व सहमति और मंजूरी की आवश्यकता होती है और पिछले 28 साल से यह प्रक्रिया चल रही है।
सूत्र ने आरोप लगाया, ‘‘बजट के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति मांगने से पहले बजट पेश करने की तारीख तय करना, यह अपने आप में गलत है और आप सरकार की दुर्भावना को दिखाता है।’’
उसने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री को मालूम था कि उपराज्यपाल ने वित्तीय विवरण को स्वीकृति दे दी है और नौ मार्च के बाद से कुछ टिप्पणी की हैं, जब उपराज्यपाल सचिवालय ने उन्हें फाइल भेजी थी। हालांकि, उपराज्यपाल द्वारा उठायी गई किसी भी आपत्ति पर कदम नहीं उठाया गया।’’
इससे पहले दिन में केजरीवाल ने एक पत्र के जरिये प्रधानमंत्री से भावनात्मक अपील की।
आप के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा, ‘‘पिछले 75 सालों में यह पहली बार है जब किसी राज्य का बजट रोका गया है। आप दिल्ली वालों से परेशान क्यों हैं? दिल्ली वाले आपसे हाथ जोड़कर आग्रह करते हैं कि इस बजट को मंजूरी दे दीजिये।’’ आप ने कहा कि 21 मार्च एक ‘काला दिन’ था, क्योंकि दिल्ली के बजट को आखिरी समय में केंद्र द्वारा रोक दिया गया। पार्टी ने कहा कि देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ।
दिल्ली में भाजपा ने केजरीवाल पर ‘सस्ता प्रचार’ के लिए दिल्ली की सरकार के बजट पर विवाद उत्पन्न करने और अपनी गलतियों को छिपाने का आरोप लगाया।