कोयला घोटाला: 20 रुपये के नोट ने ममता के परिवार तक पहुंचा दी सीबीआई, बंगाल कनेक्शन का ऐसे खुला राज
रांची। विधानसभा चुनाव सिर पर है। भाजपा की आक्रामकता और दूसरी पार्टियों के किनारा थाम लेने से दस साल से सत्ताम संभाल रहीं टीमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में धनबाद पुलिस ने अवैध तरीके से कोयला ढो रहे कुछ ट्रकों को क्यात पकड़ा बंगाल की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया। धनबाद पुलिस के एक्शान के बाद सीबीआइ, ईडी ने कार्रवाई शुरू की। उसी सीबीआइ ने जिस ममता बनर्जी ने अपने सूबे में डायरेक्ट् इंट्री पर रोक लगा दी है।
धनबाद पुलिस ने कोयला लदे ट्रकों को पकड़ा तो एक बहुत बड़े सिंडिकेट का खुलासा हुआ। जिसका सरगना अनूप मांझी यानी लाला के रूप में सामने आया। लाला जो मछली बेचते-बेचते कोयले के धंधे में उतर गया और आज उसका कोई 20 हजार करोड़ का साम्राज्य है। लाला का सीधा कनेक्शउन ममता के कुनबे तक पहुंच गया। सीबीआइ ममता के भतीजे की पत्नीा और साली से सवाल कर रही हैं।
ऐसे खुला राज
बड़े घोटाले और माफिया कनेक्शकन का तार जब ममता बनर्जी के कुनबे तक पहुंच गया तो लोगों की दिलचस्पीन इस बात में हो गई कि धनबाद पुलिस ने अवैध कोयला ढोने वाले ट्रकों को पकड़ने के लिए महज रुटीन काम किया था? लाला से बगावत करने वाले ने पुलिस को सुराग दिये ? या हिस्सेथ के लेन-देन में किसी विवाद की वजह से यह सब जाहिर हुआ। या कोई और मामला है। संभव है आने वाले समय में इन सवालों के जबाव मिलें। दरअसल दो नवंबर की रात धनबाद पुलिस ने अपने कप्तामन के निर्देश पर एक व्यूाह रचना की। ग्रैंड ट्रंक रोड पर एक ट्रक को तिरछा खड़ाकर जाम लगाया गया ताकि दूसरे ट्रक न पार हो सकें। निरसा के थानेदार सुभाष सिंह इसे लीड कर रहे थे। जाम लगाने के बाद माफिया के ट्रक का इंतजार होने लगा। पश्चिम बंगाल के नंबर वाले खास ट्रक को रोका गया, चंद सवाल किये गये। चालान मांगा गया तो 20 रुपये का नोट लगा एक बिल पकड़ा दिया। यही पासवार्ड, कोडवर्ड रोड पास होता था।
सब बड़ा व्य।वस्थित था, सिस्टाम का बड़ा हिस्सा् इससे लाभान्वित होता था। इसी तरह के 10, 20, 50 और सौ के नोट और उनका नंबर कोड या कहें पासवर्ड होते थे, चालान होता था। पुलिस सूत्रों के अनुसार ये सब लाला जारी करता था। और लाला द्वारा जारी एक चालान की कीमत 1.30 लाख रुपये होती थी। दो नवंबर की रात इसी तरह कुछ और ट्रक पकड़े गये। जिसके बारे में कहा जाता है कि 5500 करोड़ रुपये के घोटाले का राज खुला। बताते हैं कि इस कथित रोड पास को खुद लाला जारी करता था और झारखण्डत, बिहार से लेकर उत्तार प्रदेश तक के रूट को वही स्थाानीय गुर्गों की मदद से मैनेज करता था। जहां लाला द्वारा जारी चलाना होता, कोई नहीं रोकता। सब की हिस्सेरदारी थी। अवैध ढुलाई के साथ कोल कंपनियों की मिली भगत से चालू खदानों जिनमें कोयला रहता था, उसे बंद करा दिया जाता फिर उन खदानों से लाला का सिंडिकेट कोयले निकालता और बिहार, यूपी, झारखण्ड की मंडियों में खपा देता। धनबाद के मुगमा एरिया में बंद खदानें और वहां अवैध खनन का साक्ष्यद सीबीआइ ने जुटाया तो और भी राज खुल रहे हैं।
और ममता के कुनबे तक पहुंची आंच
इसी घटना के बाद 28 नवंबर को सीबीआइ ने लाला के ठिकानों पर रेड किया तो आसनसोल से एक डायरी मिली। बरामद डायरी में टीएमसी नेताओं के कनेक्शघन निकले। दैनिक भास्कमर के अनुसार डायरी में टीएमसी के यूथ विंग के महासचिव विनय मिश्र और झारखंड के पुलिस अफसरों और कोल माफिया के नाम थे। फिर 31 दिसंबर को विनय मिश्र के यहां रेड और बरामद दस्तामवेज में टीएमसी के सेकेंड मैन के रूप में चर्चित ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उसकी पत्नीड रुजिरा नरूला और रुजिरा की बहन मेनगा गंभीर का नाम सामने आया।
सीबीआइ की टीम जब अभिषेक बनर्जी के घर पहुंच रही थी, चंद मिनट पहले ही ममता बनर्जी वहां पहुंचीं और वहां से अभिषेक की बेटी को लेकर निकल गयीं। दीदी का वहां पहुंचना बहुत कुछ कहता है। रुजिरा से सीबीआइ ने अन्य। सवालों के साथ यह भी पूछा कि अनूप मांझी उर्फ लाला को आप कैसे जानती हैं, लाला कोयला घोटाले में वांटेड है। उसने आपके खाते में पैसे क्यों ट्रांसफर किये। बहरहाल विनय मिश्र फरार हैं, लाला लंबे समय से फरार है। कोयला तस्कंरी मामले में लाला को भगोड़ा घोषित कर चुकी लाला की कोई 1000 करोड़ रुपये की देश-विदेश में 70 संपत्ति को जब्ता करने की तैयारी चल रही है। सीबीआइ ने अदालत को इसकी सूची सौंपी है। सीबीआइ की जांच जैसे, जैसे आगे बढ़ेगी, कोयले की अवैध कमाई से लाल हुआ लाला और दूसरे लोग पकड़े में आयेंगे तो इसका दूसरा रंग भी दिखेगा।